31.08.2016 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 31.08.2016
Updated: 05.01.2017

Update

कैसे होते हैं दिगम्बर साधु... क्या होती हैं उनकी चर्या ।।। एक बार सब सज्जन जरूर पढ़े -दिगम्बर साधु की आदर्श जीवन चर्या (lifestyle):)

★इस काल के सब के महान तपस्वी आचार्य श्री सन्मति सागरजी महाराज के त्याग की कथा★ गुरुदेव श्री १०८ आचार्य सन्मतिसागर महारा भोजन नहीं करते थे. वे ४८ घंटो में एक बार मट्ठाऔर पानी लेते थे. आपने आचार्य १०८ महावीर कीर्ति जी महाराज से 18 साल की आयु में ब्रहमचर्य व्रत लेते ही नमक का त्याग कर दिया

सन 1961 में (मेंरठ) में आचार्य विमलसागर महाराज से छुलक दीक्षा लेते ही दही,तेल व घी का त्याग कर दिया था. सन 1962 में मुनि दीक्षा लेते ही आपने शकर का भी त्याग कर दिय सन 1963 में आप ने चटाई का भी त्याग कर दिया और 1975 में आपने अन्न का भी त्याग कर दिया. सन 1998 में उन्होंने दूध का भी त्याग कर दिया. सन 2003 में उदयपुर में मट्ठा और पानी का अलावा सबका त्याग कर दिया.

उन्होंने रांची में 6 माह तक और इटावा में 2 माह तक पानी का भी त्याग किया. उन्होंने अपने एक चातुर्मास में 120 दिनों में केवल 17 दिन आहार लिया.दमोह चातुर्मास में उन्होंने एक आहार एक उपवास फिर दो उपवास
एक आहार तीन उपवास एक आहार.... इस तरह बढते हुए, 15 उपवास एक आहार, 14 उपवास एक आहार, 13 उपवास एक आहार..... से करते करते एक उपवास एक आहार, तक पहुच कर सिंहनिष्क्रिदित महा कठिन व्रत किया. उन्होंने अपने 49 साल के तपस्वी जीवन में लगभग 9986 उपवास किये. लगभग 27.5 सालो से भी अधिक उपवास किये.

आपके बारे में आचार्य 108 पुष्पदंत सागर महाराज ने यहाँ तक कहा है की महावीर भागवान के बाद आपने ने इतनी तपस्या की है. सन1973 में उन्होंने शिखरजी की निरंतर 108 वंदना की थी वे भरी सर्दियों मेंभी चटाई नहीं लेते थे. गुरुदेव 24 घंटो में केवल 3 चार घंटे ही विश्राम करते थे. वे पूरी रात तपस्या में लगे रहते थे. उन्होंने समाधी से 3 दिन पहले उपवास साधते हुए लोगो का कहने का बावजूद आपना आहार नहीं लिया. अपनी समाधी से पहले दिन यानि 23-12-10 को आपने अपने शिष्यों को पढ़ाया और शाम को

*अपना आखरी प्रवचन भी समाधी पर ही दिया. और सुबह 5.50 बजे आपने अपने आप पद्मासन लगाया भगवन का मुख अपनी तरफ करवाया और अपने प्राण 73 वर्ष की आयु में 24-12-10 को आँखों से छोड़ दिए.

ऐसे तपस्वी सम्राट को मेरा कोटि कोटि नमन...👏👏 #Sanmatisagar #Jainism #Digambara #Sunilsagar #Tirthankara

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शंका समाधान
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१. ओरा एक विज्ञानं है! दर्पण में प्रतिबिम्ब दिखने का मतलब ये नहीं है की हमारा प्रतिबिम्ब वहाँ पहले नहीं था, दर्पण ने तो केवल उसको दिखा दिया! इस science में बहुत उन्नति हो रही है, ६ महीने पहले ही पता लग जाता है की कौन सा रोग होने वाला है! लेकिन ओरा का business करने वालों से सावधान रहे, प्रमाडिक लोगो के पास ही जाये!

२. बच्चे विदेश में पैसा कमाने के लिए जाते हैं लेकिन अगर माँ-बाप के बीमार होने पर उनकी सेवा करने नहीं आ सकते तो उनका बेटा होना निरर्थक है! भोपाल के एक अरविन्द जैन हैं जो सालों से अमेरिका में रह रहे थे, उनकी माँ ही थी और वो व्रती थी! एक बार उनकी माँ की back की हड्डी टूट गई, तब पत्नी की इच्छा के विरुद्ध भी उन्होंने माँ के पास आकर उनकी खूब सेवा की! फिर उनके ऐसे भाव हुए की उन्होंने अपनी job छोड़कर यही अपना काम करने लगे!

३. सभी को जीवन में कम से कम एक बार सिद्ध चक्र विधान, पञ्च कल्याणक में भगवान् के माँ-बाप और सौधर्म इन्द्र बनना, सम्मेद शिखर जी की यात्रा जरूर करना चाहिए और अंत में समाधी मरण के द्वारा अपना कल्याण करिये!

४. छोटों को माँ-बाप के निर्णयों को सही - गलत, न्याय - अन्याय का आंकलन ना करके उसको उनकी कृपा दृष्टि समझना चाहिए!

####### IMPORTANT #######

५. संस्कारित माँ-बाप को ही संस्कारित बच्चों का सौभाग्य मिलता है! ये चार बाते जरूर सीखे और सिखाये:

१. पापों से भय
२. प्राणी मात्र के प्रति संवेदनशीलता
३. जैनत्व का गौरव
४. माँ-बाप के प्रति सम्मान

६. जैन धर्म में पर्युषण को पूरी तरह से माना गया है! जो सब तरफ से आठ कर्मों का नाश करे वो " पर्युषण " है, यही दस लक्षण है! पर्युषण को ना मानना भ्रान्ति है!

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७. जैन अध्यात्म और योग को जनता को बीच अच्छे से पहुँचाया जाए तो " जैन धर्म " को " जन धर्म " बनाने में सुगमता होगी!

- प. पू. मुनि श्री १०८ प्रमाण सागर जी महाराज

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कौन कहता है जैन संत नंगे होते हैं? अरे अज्ञानियों, जैन संत तो दिगंबर होते हैं नंगे तो तुम अज्ञानी होते हो।क्या कभी किसी पागल नंगे को किसी ने नमस्कार किया है? नहीं ना।

लेकिन इसी देश के प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद ने आचार्य देशभूषण महाराज से आशीर्वाद लिया था।

प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल ने भी आ. देशभूषण महाराज से आशीर्वाद लिया था।
प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी श्वेत पिछीधारी आ. विद्यानंद जी से आशीर्वाद लिया था।
प्रधानमंत्री अटलविहारी जी ने भी आचार्यश्री विद्यासागरजी से आशीर्वाद लिया था।

बड़े-बड़े शीर्ष नेताओं ने समय-समय पर जैन संतों से आशीर्वाद लेकर अपना मनुष्य जीवन सार्थक किया है।

जो भी जैन संतों की बुराई करता है या उन्हें नंगा बोलता हैं उनके लिए खुली चुनौती है कि वे सिर्फ एक दिन
1. नंगे होकर सड़क पर निकल जाएं।
2. एक समय खाना-पानी लें।
३. नंगे पैर चलें।
4. बिना कोई कपड़ा बिछाए जमीन या तख्त पर सोकर दिखाएं।
5. तपती धुप में, बेहद सर्दी में और बारिश में चलकर और साधना करके दिखाएं । न पंखा, न एसी, न छाता, न कार। क्या आप एक घंटा भी सहन कर सकते है?

🕉यदि आप सच्चे गुरुभक्त हैं और आप मेरी बात से सहमत हैं तो अधिक से अधिक शेयर करें।

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लगता है की अभी भी दिगम्बर जैन मुनि व् जैन धर्म को अजैन समाज भलि-भाँति नही समझ पाया है इसके लिए हमसभी को प्रयास करना है की अजैन समाज भी हमलोगो के मुनि नग्न क्यों रहते है इसके बारे में लोगों समझाने का प्रयास अवश्य करना चाहिए। #Digambara #tarunsagar #vidyasagar #Jainism

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आए जाने दिगंबर जैन साधू की चर्या 📢📢

1⃣
दिगंबर जैन साधू नग्न रहते हैं क्योंकि वो अपरिग्रह महाव्रत का पालन करते हुए अपने पास एक कपडा भी नहीं रखते। वो नग्न रहकर ठण्ड, बरसात आदि मौसम को भी सहन करते हैं

2⃣
दिगंबर जैन साधू अपने पास केवल पिच्छी (मोर पंख से बनती है जो चींटी आदि कीड़ों को अहिंसा पूर्वक हटाने का उपकरण है), कमंडल (शौच के लिए पानी रखने का उपकरण) और शास्त्र रखते हैं। इसके अलावा दिगंबर जैन साधू अपने पास कोई भी वस्तु अथवा पैसे आदि नहीं रखते हैं

3⃣
दिगंबर जैन साधू पैरों में चप्पल जूते आदि कुछ भी नहीं पहनते चाहे काँटे ही क्यों न लगे, चाहे पैरों में चल चल कर छाले ही क्यों न हो जाए वो धुप में तपती सड़कों पर नंगे पाँव ही चलते है और जीवन भर नंगे पाँव ही चलते हैं

4⃣
दिगम्बर जैन साधू अपने सर और दाढ़ी के बाल हर २ से ४ महीनों में स्वयं के हाथों से पूरे उखाड़ देते हैं क्योंकि वो कैची आदि नहीं रख सकते। बाल इसलिए उखाड़ते हैं क्योंकि बालों आदि में जीव उत्पन्न न हो उनकी हिंसा न हो

5⃣
दिगम्बर जैन साधू २४ घंटे में एक वक़्त दिन में खड़े होकर अपने हाथों में आहार (भोजन) लेते है जो जैन समाज उनको देती है

6⃣
दिगम्बर जैन साधू जिंदगी भर वाहन का प्रयोग नहीं करते और हर जगह पैदल ही विहार करते हैं

7⃣
दिगम्बर जैन साधू सोने के लिए तकिया, गद्दी, चद्दर आदि नहीं लेते वो केवल लकड़ी के तख्ते पर अथवा जमीन पर सोते हैं और ठंडी गर्मी में भी इसी प्रकार सोते हैं

8⃣
दिगम्बर जैन साधू पंखा, AC, कूलर, हीटर, आदि का इस्तेमाल नहीं करते। उनका खुदका घर, गाड़ी, जमीन आदि कुछ भी नहीं होता।

9⃣
दिगम्बर जैन साधू एक दिन से लेकर एक महीने तक भी उपवास करते हैं जिसमे वो पानी भी नहीं लेते अथवा कुछ दिन के अंतराल से केवल पानी लेते हैं

1⃣0⃣
दिगम्बर जैन साधू जीवन भर ब्रह्मचर्य का पालन करते है जिसमे वो सभी स्त्रियों से दूर रहते हैं

1⃣1⃣
दिगम्बर जैन साधू अपने जीवन के अंत में समाधी मरण (सल्लेखना) करते हैं जिसमे वो धीरे धीरे भोजन पानी आदि का त्याग करते हैं । समाधी मरण सिर्फ तभी करते हैं जब वृद्ध अवस्था अथवा बीमारी के कारण मरण को टालना असंभव हो जाता है
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दिगंबर जैन साधू यह सब कठोर तपस्या केवल अपने कर्म काटने के लिए करते हैं इसलिए आगे से यदि आपको कोई दिगम्बर साधू दिखे तो उनको झुक कर नमस्कार जरूर करना तो आपको भी पुण्य मिलेगा और नमस्कार नहीं कर सको तो कोई बात नहीं आप उनके नग्नत्व के वेश के कारण को समझ कर उनके प्रति अच्छे भाव तो रख ही सकते हैं


ऊपर बताई हुई चर्या दिगंबर जैन साधू अपनी दीक्षा के बाद से पूरे जीवन पर्यन्त करते है इसीलिए जैन समाज में वो पूज्य होते है

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✿ इस महामंत्र का जाप करो.. भव जल मिले किनारा.. #Namokar #Mantra #Jina #Jainism #Dharma #Arihant #Tirthankara #Digambara

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✿ श्री अनंतराय जैन जी (76 साल) वनदा वासी, तमिलनाडु को बहोत बहोत अभिनंदन कि उन्होने जंगल मे पडी जैन प्रतिमा का संरक्षण किया और 6 महिने कि कडी मेहनत से जैन मन्दिर का निर्माण किया #Temple #Jina #Jainism #Dharma #TamilNadu #Arihant #Tirthankara #Digambara

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