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14 मासखमण
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भारत में जैनियों के रंग में रंगी अमेरिकी लड़की
जैन धर्म के बारे में जानकारी जुटाने और सीखने के लिए एक अमेरिकी छात्रा ने जैन धर्म का पालन करना शुरू कर दिया है। न्यूयॉर्क के हेमिल्टन कॉलेज की स्टूडेंट गाएला लेनर्ड ने जैन धर्म को जानने समझने के लिए अहमदाबाद शहर को चुना है। गाएला ने जैन धर्म की परंपराओं को अपना रही हैं। वह समवत्सरी के दौरान व्रत भी रखना चाहती हैं।
हेमिल्टन कॉलेज की वेबसाइट के अनुसार गाएला को साल 2016-17 के लिए थॉमस जे. वॉटसन फेलोशिप मिली है। इस फेलोशिप के तहत उन्हें प्रॉजेक्ट पूरा करने के लिए 30 हजार डॉलर रुपये मिले हैं। उनके प्रॉजेक्ट का विषय है, 'आधुनिक महिला के लिए पहनावा: मठ की महिलाएं और सामुदायिक शक्ति'। वह अपना रिसर्च पूरा करने के लिए भारत के अलावा मलेशिया, थाइलैंड और ऑस्ट्रेलिया भी जाएंगी।
गाएला ने बताया, 'जैन संघ में साध्वी के साथ बातचीत में जैन धर्म के बारे में जानकारी जुटाई है। मुझे जैन सन्यासियों के पांच महाव्रत (महान प्रतिज्ञाएं) और जैन संघ के बारे में जानकारी हो गई है। मुझे नवाकार मंत्र याद हो गए हैं। मैं अपनी स्टडी के एक पार्ट के रूप में समवत्सरी के दौरान व्रत भी रखूंगी।' साधु वितरागयशदी ने कहा कि गाएला अब धार्मिक जैन को समझने के लिए जैन परंपरा के अनुसार सूरज ढलने के बाद भोजन नहीं करेगी। उन्होंने बताया कि वह पर्यूषण पर्व की धार्मिक परंपराओं को देखने के लिए काफी उत्सुक हैं।
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करोड़पति बने आईटी सिटी के कपोत
-कबूतरों के नाम से बनाया नूतन भवन
आईटी सिटी बेंगलूरु के आसमान में उड़ान भर शांति का संदेश देते कबूतर करोड़पति बन बैठे हैं। इनके नाम से शहर में अब सम्पत्ति हो चुकी है। तीन मंजिला भवन स्वरुप यह सम्पत्ति कबूतरों की सेवा करने वाले प्रवासी राजस्थानियों द्वारा बनाए गए ट्रस्ट शंखेश्वर पाश्र्वनाथ जैन कबूतर दाना सेवा समिति की ओर जनसहयोग से राजाजीनगर 3रे ब्लॉक स्थित बास्यम सर्कल के समीप बनवाई गई है। निर्माण कार्य अंतिम चरण में है। कबूतरों के लिए 1 रुपए से लेकर 1 लाख रुपए तक मिलता है। दानदाता खुले हाथ दिल खोले हुए हैं।
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