25.08.2016 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 25.08.2016
Updated: 05.01.2017

Update

आचार्यश्री की दिनचर्या Ideal lifestyle!:) #vidyasagar #bhopal #Jain #Jainism #Dharma #Tirthankara #Digambara

आचार्य विद्यासागर जी महाराज सुबह लगभग साढ़े तीन बजे जाग जाते हैं। लगभग दो घंटे प्रतिक्रमण व भक्ति के बाद 5.30 बजे गुरू भक्ति होती है। गुरू भक्ति में आचार्यश्री उनके शिष्य मुनिगण और आम लोग भी रहते हैं। सुबह 6.00 बजे आचार्यश्री शौच के लिए अरेरा पहाड़ी (डीबी माल के पीछे) जाते हैं। इस दौरान लगभग 300 से 400 भक्त उनके साथ होते हैं। 7.30 से 8.30 बजे तक वे अपने शिष्य मुनियों को पढ़ाते हैं। 9 बजे से 9.30 बजे तक मुख्य पंडाल में आचार्यश्री का पाद प्रच्छालन, उनकी पूजन एवं संक्षिप्त प्रवचन होते हैं। 9.45 बजे मुनिसंघ आहार के लिए रवाना होते हैं। दोपहर 11.30 बजे ईर्यापद भक्ति होती है। दोपहर 12 से 2.00 बजे तक ध्यान और सामयिक होती है। 2 बजे से 2.45 बजे तक आचार्यश्री स्वाध्याय करते हैं। 2.45 से 4 बजे तक मुख्य पंडाल में क्लास शुरू होती है। इसमें मुनि और आमजन शामिल होते हैं। शाम 5 बजे से प्रतिकमण। 6.00 बजे गुरू भक्ति और आरती की जाती है। इसके बाद आचार्यश्री ध्यान व्और सामयिक करते हैं।

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Update

PROUD INFO:)☝Today (25th Aug) is the 152nd birth anniversary of Sri.Virachand Raghavji Gandhi. #Jainism #Gandhi #Chicago #Vivekanand

He represented Jainism at world religious parliament in Chicago along with Sri. Swamy Vivekanand in 1893.

VR Gandhi a Gujarati Jain, was a polyglot who spoken fourteen languages and was a successful barrister.

VR Gandhi was a close friend of Mahatma Gandhi. VR Gandhi helped Mahatma Gandhi in his struggle to establish a legal practice.

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आचार्यश्री ने प्रवचन मे कहा की हमे चलते समय सतर्क चलना चाहिये पैरो के साथ हाथो दिमाग ओर मन मे भी सन्तुलन होना चाहिये। #vidyasagar #Jainism #Jain #Tirthankara #Digambara #Adinath #Dharma #Bhopal

आचार्यश्री ने कहा कि सड़क पर मोबाइल से बाते करते हुए, इनके कारण पीछे चलने वालो को असुविधा होती है इससे बचना चाहिए।

🔺 आचार्यश्री ने कहा बहुमूल्य रत्न के जौहरी को ग्राहकों की चिंता नही होती और वह हर किसी को बेशकीमती रत्न नही दिखाता है।

उसी तरह मोक्षमार्ग पर सतर्क होकर चलने की आवश्यकता है। जिसे एक बार सम्यक दर्शन रत्न मिल जाता है। उसे फिर उसके सामने सब रत्न बेकार हो जाते है।

आज आचार्यश्री के आहार एक बड़े और खुले कॉम्लेक्स मे हुए। सभी ओर से सैकड़ो लोगो को आहार दिख रहे थे।
इनमे कई अजैन परिवार भी अपलक निहार रहे थे।

🔺 आज जहा आचार्यश्री के जहां आहार हुए वहा के एक अजैन परिवार खुशी से नाच रहा था उनका कहना था की आज उनके घर के पास गुरुदेव आये यही उनका परम सौभाग्य था।

🔺 होस्टल मे रहने वाली अजैन बिटिया लोगो की आपस की चर्चा मे मेरा ध्यान गया वे कह रही थी हम कितने भाग्यशाली है की हमे आज महावीर आंखो से दिख रहे है वरना जहा हम रहते है वहा कभी दर्शन नही होते।
मुझे लगा वास्तव मे आचार्यश्री सिर्फ हम जैनो के ही नही अजैनो के और जन जन के भी महावीर है।

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✿ नहीं दोष अठारह हैं तुझमे, निकलंक जगत उपकारी हैं!
हैं नाथ त्रिलोक पति भगवन, तू अनंत चतुष्टय धारी हैं!!
प्रभु शुक्ल ध्यान धरके तुमने, धनघाती कर्म को दूर किया!
और केवल ज्ञान दिवाकर से, हैं अखिल विश्व को पूर दिया!!

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News in Hindi

*काल घूमता नहीं घूमाता है: आचार्य विद्यासागर जी:) #vidyasagar #Bhopal #Jainism #Dharma #Digambara #Tirthankara

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में चातुर्मास कर रहे जैन संत आचार्य विद्यासागर महाराज ने कहा है कि मनुष्य पर्याय बहुत दुर्लभ है और समय की गति रुकती नहीं है। हर क्षण बीत रहा है जो भी सद्कार्य करने हैं उन्हें शीघ्र शुरू करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कालचक्र घूमता नहीं है वह अच्छे अच्छों को घुमा देता है।

उन्होंने एक उदाहरण के माध्यम से समझाया कि कुंभकार चाक और मिट्टी का लोथा रखता है डण्डी से उसे घुमाता भी है, लेकिन कुंभ तक नहीं बन सकता जब तक चाक के नीचे कील न हो, उस कील पर घुमकर ही चाक मिट्टी को कुंभ में बदलता है। उन्होंने कहा कि कील का अपने स्थान पर मजबूत होना भी आवश्यक है। एक और उदाहरण देते हुए आचार्यश्री ने कहा कि एक दादाजी अपने पोते का जन्मदिन मना रहे थे। पोते ने पूछा दादाजी आपका जन्मदिन कब है। दादाजी ने जवाब दिया कि अगले माह। पोता बोला कि आप गलत हो। दादाजी का जन्म तो उसी क्षण हुआ था तब पैदा हुआ। क्योंकि काल क्षेत्र, प्रभाव के अनुसार पोता का जन्म होने पर ही व्यक्ति दादा के रूप में दादा बना। *आचार्यश्री ने कहा कि वस्तु के स्वभाव को पहचानना जरूरी है। चिंतन किए बिना सांसारिक प्राणी अपने स्वरूप को नहीं पहचान सकते। काल घूमता नहीं है, वह घुमाता है। काल बीत रहा है। हर क्षण कीमती है। उसका मूल्य समझो यह मनुष्य पर्याय पूर्व जन्म के कर्मों के फल के रूप में मिली है। इसका हर क्षण उपयोग करो।* यदि समय का सही नहीं कर सके तो इतिहास में खो जाओगे।

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