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#होसपेट #चातुर्मास 2016
उपप्रवर्तक श्री #नरेश मुनि जी म सा.
12/8/2016
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#गुंतकल #चातुर्मास 2016
12/8/2016
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#शिवाचार्य #भीलवाडा #चातुर्मास 2016
मृत्यु नश्वर शरीर से मुक्ति का मार्ग - आचार्य श्री शिव मुनि
12/8/2016 भीलवाडा / जीवन शास्वत सत्य है इसको जीना ही पड़ेगा । मौत तो मुक्ति का मार्ग है इस नाश्वर शरीर से मुक्ति का, लेकिन जीवन तो फिर भी हर एक को जीना है । यह कहना है जैन श्रमण संघीय आचार्य श्री शिव मुनि का । आचार्य श्री ने शुकवार को शिवाचार्य समवसरण में आयोजित चातुर्मासिक धर्मसभा मेंं श्रावक श्राविकाओं को उदबोधित करते हुए कहा कि जीवन जीने का नाम है उसे मस्ती से जीना चाहिए । मरेगा शरीर, आत्मा तो अजर अमर है । आत्मा पर जवानी बुढापे और मौत का कोई असर नही होता है । यह शरीर राख हे जिसे चिता पर जाते ही अपने रूप में आना है । यह शरीर मिटटी का हे इसे मिटटी में ही मिलना है । लेकिन हम इस सच को मानते नही इसे स्वीकार नही करते । आचार्य श्री ने कहा की मन के पीछे भागना नही, मन को पहचानना हे । मन एक क्षण में सभी जगह की सैर कर आता है मन पर काबू पाने के लिए मंथन आवश्यक है । हमे हमारे मन को पहचानना आवश्यक हे ।
जीवआत्मा अनादि काल से भृमण कर रहा है मानव की उत्पत्ति कैसे से हुई इसका पता नही लग पाता हे । सभी प्राणी अनादि काल से भृमण कर रहा है और सभी प्राणी सुख पाना चाहता है । इस सन्सार में सुख भी हे, दुःख भी हे, विष भी हे, अमृत भी हे, लेकिन हम किसे चुनते हे यह हमारे ऊपर निर्भर है । बगीचे में फूल भी हे, पत्ती भी हे और कांटे भी हे । हम क्या चुनते हे यह हम पर निर्भर है । जीवन में भी सत्य - असत्य अमृत - विष धर्म - अधर्म सबकुछ भरा पड़ा है हम क्या ग्रहण करते हे यह सबकुछ हम पर निर्भर है । जब इंसान मंथन करेगा चिंतन मनन करेगा तो सकारात्मक परिणाम अवश्य आयेगा ।
श्रमण संघीय मंत्री शिरीष मुनि ने धर्मसभा को सामयिक के दौरान लगने वाले दोषों पर विवेचना करते हुए बताया कि सामायिक के दौरान श्रावक श्राविकाओं को 10 मन के 10 वचन के दोष लगते है जिनका ध्यान रखना चाहिए ।
शिवाचार्य समवसरण में आचार्य श्री के सानिध्य में जिला प्रमुख एवं सुश्रावक पीरचंद सिंघवी को भावांजली दी गयी । आचार्य श्री ने दुःख की इस घड़ी में परिजनों के मंगल की कामना करते हुए उन्हें समता धारण करने की बात कही । धर्मसभा में उपस्तिथ श्रावक श्राविकाओं ने दिवंगत सिंघवी को ध्यानजली दी ।
धर्मसभा को दुबई से आई डॉ प्रज्ञा जैन ने आहार सम्बन्धी आचरण पर संबोधित करते हुए बताया कि मन पर आहार का भी प्रभाव पड़ता है । उन्होंने धर्मसभा को आहार सम्बन्धी आचरण बदलने सहित बदलती ऋतुओं और उम्र के विभिन्न पड़ाव में आहार सम्बन्धी बदलावों की जानकारी दी ।
धर्मसभा को शुभम मुनि ने मधुर भजन से संगीतमय बनाया ।
धर्मसभा को समित मुनि, शाश्वत मुनि, निशांत मुनि, सुद्धेश मुनि का सानिध्य प्राप्त हुआ ।
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