10.08.2016 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 10.08.2016
Updated: 05.01.2017

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आचार्य श्री का प्रकृति प्रेम @ कुण्डलपुर 1976 #vidyasagar #kundalpur MUST READ..:)

सुना है कुण्डलपुर वर्षायोग के जब वर्षा रुक जाती तब गुरुवर मंदिर के बाहर खुले आकाश के नीचे शिला तल पर बैठ जाते थे एक दिन जब शिला तल पर बैठ रहे थे तभी एक श्रावक् ने झट से लाकर चटाई बिछा दी

आचार्य गुरुवर ने देख लिया और मुस्कराकर बोले की जिन्हे वस्त्र गंदे होने का भय है ये चटाई उनके लिए है हमारे तो वस्त्र है नहीं इसलिए हमको कोई डर नहीं है सभी लोग गुरुवर के मनोविनोद पर हसने लगे और प्रकृति के बीच उनके प्रकतिस्थ आत्मस्थ रहने की बात सोचकर सभी का मन गदगद हो गया प्रकृति मे प्रकृति की तरह निश्चल और निस्पृह होकर विचरण करना एक सच्चे साधू की उपलब्धि है...

Source: मुनि क्षमासागर जी की पुस्तक आत्मानवेशी, कुण्डलपुर सन 1976

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☝Parshawanath Swamy Moksha Kalyana celebrated on 10th Aug with Nirvan arathi (Nirvan Laddu arathi) under the guidance of H H Sri Lakshmi Sena Bhattarakaru of Shimmana gadde Jaina Matha/ Monastery in Narashimaraja Pura (NR Pura), Chikkamagaluru district, Karnataka State, South India. #SouthIndia #Parshvanatha #Jainism

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शंका समाधान (documented on 10 August)
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१. जीव दया को अपने जीवन का अंग बना के चलिए! जो अभय दान को अपने जीवन का अंग नहीं बनाते, शास्त्रानुसार उसके द्वारा परमार्थ के लिए किया हुआ सारा पुरुषार्थ बेकार है! जन्म दिन, सालगिरह आदि ऐसे दिनों पर जीव - रक्षा के लिए दान करना चाहिए!

२. बीज में वृक्ष नहीं है, लेकिन बीज के बिना वृक्ष नहीं होता! इसी प्रकार भक्ति वो बीज है जिससे पञ्च परमेष्ठी रुपी वृक्ष बनता है! और फिर खुद भगवान् बन जाते हैं!

३. जीवन में वृक्षों की बड़ी अहमियत है! महापुरुषों को और भगवान् को बोधि ज्ञान किसी ना किसी वृक्ष के नीचे ही हुआ! वृक्षों पर बहुत research हुआ है! ये ऊर्जा का बहुत अच्छा श्रोत होते हैं! भगवान् के समवसरण में भी भगवान् अशोक वृक्ष के नीचे विराजमान होते हैं! अशोक वृक्ष को देखने मात्र से लोगो के शोक ख़त्म हो जाते है!

४. अगर बच्चों में बचपन से मजबूत संस्कार दिए हैं - उनको ये समझाया है की सही और गलत का फैसला कैसे करे; गलत का फल क्या होगा, तो वो गलतियों से बचेंगे! बच्चों को पुलिस बन के नहीं, पिता बन के समझाइये!

५. खंडन / विखंडन की सोच कभी नहीं रखनी चाहिए! समाज का खंडन एक बार हो गया तो फिर दोबारा जुड़ पाना बहुत मुश्किल होता है!

- प. पू. मुनि श्री १०८ प्रमाण सागर जी महाराज

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this bful jhanki.. Of bhagwan Mahavir created by 8 year old girl showing in pic:)) share to banta h.. #MahavirBhagwan #JainDharma

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❖ Love of Supreme Soul is True Policy -Acarya VishudhaSagar G ❖

O, pure soul; If you unite with invisible, unparalleled and incessant flame of pure and perfect soul, you shall stop liking others. You shall get rid of the troubles of meeting worldly persons. The interesting thing is; one can seek the path of salvation in his mundane existence. Go and seek the refuge in the lord of eternal truth; he is the father, friend, companion and brother. O soul, extend love and affection to your pure and perfect soul; who is eternal, flawless, stainless and salvated natural self. The mundane soul is subjected to transmigration in various grades of life when one becomes unchaste by forgetting his real beloved. Be careful even now. Stop transmigration and be absorbed in your self. #VishuddhaSagar #Jainism

|| I bow disembodied pure souls (Siddhas) and all the five supreme beings ||

From: 'Shuddhatma Tarnggini'
Author: Aacharya Vishudha Sagarji Maharaj
English Translator: Darshan Jain, Prof. P. C. Jain

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खुश खबरी📢📢 भोपाल की किसी भी पंचायत में नहीं बनेगा क़त्ल खाना😃 #vidyasagar #Jainism

मंत्री श्री गोपाल भार्गव की अध्यक्षता में सर्वसहमति से जिला योजना समिति भोपाल में प्रस्ताव पारित 📰 विधायक हुज़ूर श्री रामेश्वर शर्मा ने बैठक में उठाया मुद्दा सभी जनप्रतिनिधियो ने टेबल ठोक कर किया समर्थन

ये सब आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज ससंघ के भोपाल चातुर्मास करने का प्रभाव ह

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कुण्डलपुर जाने के लिये दमोह स्टेशन पर कुण्डलपुर क्षेत्र द्वारा वाहन सुविधा उपलब्ध कुण्डलपुर (दमोह) #Badebaba #Adinatha #Kundalpur:) worthy info pls share

रेलमार्ग से श्री दिगम्बर जैन सिद्ध क्षेत्र कुण्डलपुर आने-जाने वाले तीर्थ यात्रियों के लिये दमोह रेल्वे स्टेशन परकुण्डलपुर क्षेत्र की ओर से विशेष वाहन गाडी नं 0235 ट्रेवलर 25 शीटर की सुविधा की गई है। देर रात्रि दमोह रेलवे स्टेशन पर अजमेर, जयपुर और दिल्ली की ओर से आने वाली अजमेर-जबलपुर (दयोदय एक्सप्रेस), निजामुददीन-जबलपुर (गोडवाना एक्सप्रेस), संपर्क क्रांति आदि ट्रेनों से आने वाले तीर्थ यात्रियों को सुबह 5 बजे दमोह स्टेशन पर कुण्डलपुर क्षेत्र की गाडी प्रतिदिन उपलब्ध रहेगी। यह गाडी प्रतिदिन इन ट्रेनों से आने वाले तीर्थ यात्रियों को कुण्डलपुर लेकर आती है। और सायं काल पूज्य श्री बड़े बाबा जी की आरती करके जो भी तीर्थ यात्री रेल्वे से अपने गन्तव्य की ओर जाना चाहते है। उन्हे लेकर कुण्डलपुर क्षेत्र की यह गाडी रात्रि 8:30 बजे कुण्डलपुर से चलकर दमोह स्टेशन लेकर आती है।

नोटः- संपर्क रामलाल सोनी ड्राईवर मोबाईल नं. 09713498878

धन्यवाद
कुंडलपुर तीर्थ क्षेत्र समिति

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❖ हितोपदेश... मुनि कुन्थुसागर [ आचार्य विद्यासागर जी की जीवन से जुडी घटनाएं व् कहानिया ] ❖#Vidyasagar #Jainism

संसारी प्राणी सुख चाहता है, दु:ख से भयभीत होता है. दु:ख छूट जावे ऐसा भाव रखता है. लेकिन दु:ख किस कारण से होता है इसका ज्ञान नहीं रखा जावेगा तो कभी भी दु:ख से दूर नहीं हुआ जा सकता.

आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज जी कहतें है - कारण के बिना कोई कार्य नहीं होता इसलिए दु:ख के कारण को छोड़ दो, दु:ख अपने आप समाप्त हो जायेगा. सुख के कारणों को अपना लिया जावे तो सुख स्वत: ही उपलब्ध हो जावेगा. दु:ख की यदि कोई जड़ (कारण) है तो वह है - परिग्रह. परिग्रह संज्ञा के वशीभूत होकर यह संसारी प्राणी संसार में रुल रहा है, दु:खी हो रहा है. 'पर' वस्तु को अपनी मानकर उससे ममत्व भाव रखता है यही तो दु:ख का कारण है.

आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज जी ने परिग्रह त्याग के संबंध में बताया - एक बार कुम्हार, गधे के ऊपर मिटटी लादकर आ रहा था. वह गधा नाला पार करते समय नाले में ही बैठ गया. मिटटी धीरे धीरे पानी में गलकर बहने लगी. उसका परिग्रह कम हो गया और उसका काम बन गया, उसे हलकापन महसूस होने लगा. आचार्यश्री फिर हँसकर बोले - जब परिग्रह छोड़ने से गधे को भी आनन्द आता है तो आप लोगों को भी परिग्रह छोड़ने में आनन्द आना चाहिए. वहाँ बैठे श्रावक आचार्य भगवान के कथन का अभिप्राय समझ गए और सभी लोग आनन्द विभोर हो उठे. हँसी-हँसी में ही गुरुदेव से इतना बड़ा उपदेश मिल गया की - यदि इसे जीवन में उतारा जावे तो संसार से भी तरा जा सकता है और शाश्वत सुख को प्राप्त किया जा सकता है.

note* अनुभूत रास्ता' यह किताब आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज जी के परम शिष्य मुनिश्री कुन्थुसागर जी महाराज जी की रचना है, इसमें मुनिश्री कुन्थुसागर जी महाराज जी ने आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज जी के अमूल्य विचार और शीक्षा को शब्दित किया है. इस ग्रुप में इसी किताब से रचनाए डालने का प्रयास है ताकि ज्यादा से ज्यादा श्रावक आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज जी के विचारों और शीक्षा का आनंद व लाभ ले सके -Samprada Jain -Loads thanks to her for typing and sharing these precious teachings.

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