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आचार्य श्री 108 योगेन्द्र सागर जी महाराज जी के शिष्य मुनि श्री 108 यशोधर सागर जी महाराज जी का चातुर्मास सागवाड़ा मे है और मुनि श्री का सिंह निष्करत व्रत चल रहा है जिसमे 186 दिनों मे 153 उपवास होंगे व् 33 आहार होंगे:)
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भगवान् श्री पार्श्वनाथ की केवलज्ञान स्थली बिजौलिया(जिला भीलवाड़ा) में वर्षायोग कर रहे मुनिश्री प्रणम्यसागर जी एवं मुनिश्री चंद्रसागर जी महाराज इन दिनों वर्षाकाल में नदी में बहती जलधारा के बीच ध्यानयोग मुद्रा में देख ऐसे आभास होता है जैसे साक्षात तीर्थंकर विराजमान हो। मुनि श्री के तप की अनुमोदना।
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शंका समाधान
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१. चिंतन से मनुष्य सचेत होता है, चिंता तो घातक है! चिंतन से से मार्ग प्रशस्त होता है और चिंता से मार्ग अवरुद्ध होता है!
२. जो धर्म को धारण करके धर्म की क्रिया करते हैं उनका धर्माचरण कहलाता है! बिना धर्म को धारण करे धर्म की क्रिया करने से धर्म का सही लाभ नहीं मिल सकता!
३. लौकिक जनो का राग संसार में रुलाता है जबकि साधू जनो का राग व्यक्ति को जगाता है! गुरुदेव कहते हैं की पानी कितना भी गर्म हो लेकिन आग को बुझाने में काम आता ही है! जैसे एक कांटे से ही शरीर में लगा काँटा निकल सकता सकता है वैसे ही अशुभ को काटने में शुभ का कांटा प्रयोग करना ही पड़ता है! भव भव में देव - शास्त्र - गुरु का आश्रय मिलता रहे - ऐसा राग ही परंपरा से मोक्ष का कारण बनता है!
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४. आय का कितना हिस्सा कैसे use करना चाहिए!
उत्तम दाता - ५०% घर, २५% आपत्ति और २५% दान के लिए
मध्यम दाता - ६०%घर, २३% आपत्ति और १७ % दान के लिए
जघन्य दाता (काम आय वाले) - ६०% घर, ३०% आपत्ति और १०% दान के लिए
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५. वृद्धावस्था में संयम धारण शुरुवात करने से अच्छा है की पहले से अभ्यास करे! ढलान पर गाड़ी धड़कने से पहले break चेक कर लेने चाहिए! फिर भी जो लोग लेट हो चुके हैं वो समाधी मरण की भावना पूरे मन से भाते रहे!
६. माता पिता की सच्ची सेवा उनके यश / कीर्ति / गौरव को बढ़ाना है! घर का बेटा साधू बन जाए तो इससे अच्छा और क्या हो सकता है!
७. धन संग्रह की जगह पुण्य संचय पर ध्यान केंद्रित करिये! पुण्य के क्षीण होने पर सारी FD / RD धरी की धरी रह जाएँगी!
८. मंदिर जी का पैसा देव - शास्त्र - गुरु या जीव दया के के लिए लगाना चाहिए! उस धन का अन्यथा प्रयोग में लाना दुर्गति का कारण बनता है! पुराने समय के लोग, देव द्रव्य से मंदिर जी के धोती दुपट्टे भी नहीं लाते थे क्योंकि वो निज प्रयोग के लिए ही use होते हैं!
९. बारह भावना के चिंतन को वैराग्य की जननी कहते हैं!
- प. पू. मुनि श्री १०८ प्रमाण सागर जी महाराज
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✿ तेरे समवशरण की अजब शान है..
जो भी देखे वही तुझपे कुर्बान है...
तेरी भक्ति में मन ये मेरा खो गया...
हो विद्यासागर गुरुवर मै तेरा हो गया...
गुरुभक्ति के समय आचार्य भगवंत के समवशरण का अद्भुत एवं मनमोहक दृश्य...} ✿ #vidyasagar #bhopal
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स्मृतियों के झरोखे से
1993 मे आचार्यश्री का चातुर्मास रामटेक मे चल रहा था देश के जाने माने राजनेता उधोगपति आचार्यश्री के दर्शनार्थ रामटेक आते थे।
एक दिन एक बहुत बड़े हाई प्रोफाइल तांत्रिक बाबा जिनका भारतीय राजनीति मे भी अच्छा दखल रहता था वे आचार्यश्री के दर्शनार्थ रामटेक आये थे।
उनकी वेशभूषा सफेद चमकदार रेशमी धोती कुर्ता चमकते माथे पर तिलक पूरे शरीर मे चमेली के फूलो का इत्र महक रहा था उनके हाथो मे चमेली के फूल थे कुल मिलाकर उनका एक आकर्षक व्यक्तित्व था।
सामायिक के बाद वे आचार्यश्री के दर्शनार्थ आचार्यश्री के कक्ष मे पहुचे और आचार्यश्री के दर्शन कर वही बैठ गए शायद उन्हें लगा आचार्यश्री उनसे कोई चर्चा करेंगे। आचार्यश्री अपने लेखन मे व्यस्त थे। आधे घण्टे बाद वे कक्ष से बाहर निकल आये और जहां पड़ोस के कक्ष मे परमपूज्य प्रमाणसागर जी एवम् दो मुनिराज भी विराजित थे उनके कक्ष मे ये तांत्रिक बाबा पहुचे थोड़ी देर बाद तांत्रिक बाबा ने कहा आपके आचार्यश्री के पास मैं आधा घण्टा बैठा रहा मैंने महसूस किया कि इनके चरणों के पास ऐसी ऐसी दिव्य शक्तिया बैठी होती है जिन्हें सिद्ध करने मे हमारा पूरा जीवन निकल जाता है और हम उन्हें जीवन भर मे भी नही पा सकते है। लेकिन आचार्यश्री इन दिव्य शक्तियो की ओर नज़र उठा कर भी नही देखते है।
आचार्यश्री बहुत बड़े सिद्ध बाबा है मैंने अपने जीवन मे पहली बार ऐसे निर्मोही बाबा के दर्शन किये जो अपने पास दिव्य शक्तियो की ओर नज़र तक नही उठाते।
आज ऐसे बाबा के दर्शन कर मन को बड़ी शांति मिली।
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📝इस संस्मरण का उल्लेख परमपूज्य प्रमाणसागरजी महाराज अपने प्रवचनों मे अक्सर करते है।
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✿ यह वही स्थान है जहा कंमठ ने श्री 1008 पारसनाथ भगवान पर उपसर्ग किया था, यह स्थान राजस्थान में बिजोलिया ग्राम में स्थित है,यह अतिशय क्षेत्र है, आज भी यहां वह निशान देखे जा सकते हैं, बड़ी-बड़ी चट्टाने और सांपों के निशान l
अवश्य दर्शन लाभ प्राप्त करें...!!
Dhanyavad Sanjay Sethi Ji...Information and Photo ke liye
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An Important Admin Note to 50,000 Readers:) आचार्य विद्यासागर जी Laptop/Computer/Mobile/Tablet USE नहीं करते हैं! ये पेज चलाने में आचार्य विद्यासागर जी की प्रेरणा/अनुमोदना नहीं हैं! आचार्य श्री को इस पेज के बारे में जानकारी भी नहीं की एक पेज उनके नाम से हैं जिसमे 50,000 मेम्बर हैं!!!!!!:)) जो भी picture/post/article/content इस पेज से शेयर किया जाता हैं वो सब ADMIN की समझ से किया जाता हैं! हम admin लोग अपनी समझ के अनुसार पेज चलाते हैं.. थोडा मत-भेद/विचार-भेद/द्रष्टि-भेद होना स्वाभाविक हैं Human Nature हैं! इस पेज का उदेश्य जिन धर्मं के core teachings/Crux को spread तथा जिन धर्मं के जीवंत प्रतिकृति मुनिराजो सहित जिसमे आचार्य विद्यासागर जी admin के नजरिये में आदर्श हैं, के प्रवचन आदि शेयर करना हैं! admin किसी भी भेदभाव जैसे पंथवाद /साधुवाद आदि में विश्वास नहीं रखते हैं.. तथा हम सब धर्मं का मर्म [ essence ] समझे.. ऐसी भावना रखकर पेज को चलाते हैं:) । #vidyasagar #Jainism
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आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनि श्री क्षमासागरजी महाराज द्वारा रचित हृदयस्पर्शी कविताओं को आप हमारी वेबसाइट - www.maitreesamooh.com से पढ़ सकते है, कविताओं के संग्रह को प्राप्त करने के लिए आप [email protected] अथवा 94254-24984, 98274-40301 पर संपर्क कर सकते हैं।
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