31.07.2016 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 31.07.2016
Updated: 05.01.2017

Update

Source: © Facebook

✿ गुरु चरणों को छू लिया
.. हमने तो कई बार.. ✿
एक बार आचरण को
छु लें.. तो भव पार #vidyasagar #bhopal

--- ♫ www.jinvaani.org @ Jainism' e-Storehouse ---

Source: © Facebook

शंका समाधान
==========

१. संसार में हो रही जीवों के प्रति हिंसा संवेदनशील होना चाहिए, भावना होनी चाहिए की सारी हिंसा बंद हो लेकिन इसके लिए यथाशक्ति प्रयास ही उचित है क्योंकि व्यवहार में सारी हिंसा बंद करवाना संभव नहीं है!

२. कही भी (खासतौर पर मंदिर जी में) sliding के दरवाजे / खिड़कियां नहीं लगानी चाहिए, इसमे बहुत जीव हिंसा होती है!

३. सामायिक हमारे पांचों पापों की त्रुटियों को दूर करने में सहायक होता है! सामायिक और ध्यान करना चाहिए!

४. धर्म के अंदर पंथ बंट जाए फिर भी ठीक है लेकिन पंथियों को नहीं बंटना चाहिए!

५. जो लोग धर्म के नाम पर नारियल / ताबीच बेच कर दुःख ख़त्म करने का वादा करते हैं वो लोग धर्म नहीं गन्दा व्यापर कर रहे हैं! ये सब गलत है!

- प. पू. मुनि श्री १०८ प्रमाण सागर जी महाराज

Source: © Facebook

Exclusive today pravachan @ #bhopal #vidyasagar आचार्य श्री विद्यासागर जी ने आज कहा...

सीता का त्याग किया श्री राम ने, दूत ने सन्देश माँगा श्री राम के लिए तो सीता ने कहा की मुझे प्रभु भले ही भूल जाएँ पर धर्म को कभी न भूलें । मैं भी आपसे कहता हूँ तुम सब भूल जाओ धर्म को कभी न भूलना । जीवन मैं चरैवेति [ चलते रहो ] को मूल मन्त्र बनाकर चलते जाइये धर्म को साथ लेकर आप निश्चित रूप से अपनी मंजिल को अवश्य पा लोगे ।संस्कृति और संस्कार जरूरी हैं पश्चिमी संस्कृति की तरफ दृष्टि पात न करके अपनी भारतीय संस्कृति को सुदृढ़ बनाने की शुरुआत अपने परिवार से कीजिये ।

Source: © Facebook

जो वस्तु को जला दे उसे आग कहते है ।
जो जीवन को जला दे उसे राग कहते है ।
जो जीवन को उठा दे उसे त्याग कहते है ।
जो मुक्ति में पहुँचा दे उसे वैराग्य कहते है ।

News in Hindi

Source: © Facebook

आवश्यक सूचना 😡😡😡 SAD UPDATE:((#ShikharJi इसको इतना share करे की हर जैन तक ये बात पहुँच जाए । हम जैन ही एक नहीं हैं हमेशा कुछ कुछ बातो पर लड़ते चले जा रहे हैं ओर इस चक्कर में धर्म का नुक़सान कर रहे हैं!!

श्री सम्मेद शिखरजी पर्वत पर, चोपरा कुंड में स्थित दिगम्बर जैनियों की धरोहर, "एक मात्र धर्मशाला" जो कि सैकड़ों साधुओ की साधना एवं लाखों श्रावकों के दान एवं अथक प्रयास से बनी थी, आज वन विभाग द्वारा उसे तोङा जा रहा है। पूरे भारतवर्ष की प्रमुख जैन संस्थाएँ मुक्-दर्शक बनी खडी हैं, और कह रही हैं, "हम क्या करें" चोपरा कुंड तो भरत मोदी जी इंदौर वालों के अधीन है।

भाईयों हम लाखों दिगम्बर जैनी तोे स्वतंत्र हैं ना? हमें यह मैसेज ईतना फैलाना है, ताकि भरत मोदी.. वे चोपड़ा कुंड को, "भारतवर्षिय दिगम्बर जैन तिर्थक्षेत्र कमेटी" जैसी भारतवर्ष की मजबूत संस्था के हाथों सौपने को मजबूर हो जाएँ। जब वे इस सामाजिक धरोहर को बचा नही सकते, तो उन्हें इसको अपने अख्तियार में रखने का कोई हक नही है।

यदि आप मेरी बातों से सहम हैं, तो इस मैसेज को रुकने ना दें, जब तक की हमें अपने मुकाम में कामयाबी नही मिल जाती। जैनम् जयतू शासनम्

Source: © Facebook

today pravachan and picture:)) *मन वचन काय की शुद्धि के बिना आत्मा की बात असंभव: आचार्यश्री #vidyasagar #bhopal

जैन संत आचार्य विद्यासागर जी महाराज ने कहा है कि मन वचन काय की शुद्धि के बिना आत्मा को समझना और उसकी बात करना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि हम श्रेष्ठ श्रावकों को ही ज्ञान की बात समझाना चाहते हैं क्योंकि जो श्रेष्ठ श्रावक नहीं है वे ज्ञान की बातें समझ ही नहीं सकते। आचार्यश्री रविवार को दिगंबर जैन मंदिर हबीबगंज में प्रवचन कर रहे थे। दोपहर में उनकी विशाल धर्मसभा सुभाष स्कूल मैदान पर होगी।

रविवार को आचार्यश्री के दर्शन करने देशभर से हजारों की संख्या में लोग पहुंच रहे थे। भक्तों के अनुरोध पर आचार्यश्री ने सुबह की सभा में संक्षिप्त उद्बोधन में कहा कि *जिस प्रकार जंग लगा लोहा बेशक पारस के संपर्क में आ जाए लेकिन वह सोना नहीं बन सकता। इसी प्रकार अज्ञानी व्यक्ति कितना भी गुरु के संपर्क में रहे वह ज्ञान प्राप्त नहीं कर सकता।* आचार्यश्री ने कहा कि *सोना बनाने से पहले लोहे से जंग हटाना जरूरी है वैसे ही आत्मा को समझने से पहले मन वचन काय की शुद्धि करना जरूरी है।*

आचार्यश्री ने कहा कि आत्मा के सही स्वरूप को समझना है तो पहली शर्त श्रेष्ठ श्रावक बनना होगा। उन्होंने वर्तमान शिक्षा प्रणाली को दोषपूर्ण बताते हुए कहा कि समय आ गया है कि विदेश से मिली इस प्रणाली को बदलना होगा। शिक्षा प्रणाली को बदलकर ही संस्कारों का सही बीजारोपण हो सकता है।

Source: © Facebook

✿ नहीं दोष अठारह हैं तुझमे, निकलंक जगत उपकारी हैं!
हैं नाथ त्रिलोक पति भगवन, तू अनंत चतुष्टय धारी हैं!!
प्रभु शुक्ल ध्यान धरके तुमने, धनघाती कर्म को दूर किया!
और केवल ज्ञान दिवाकर से, हैं अखिल विश्व को पूर दिया!!

--- ♫ www.jinvaani.org @ Jainism' e-Storehouse ---

Source: © Facebook

✿ अब तो...
अंतर में रम जाने को दिल करता है, अपने अन्दर के राम को पाने का दिल करता है |
ज्यादा क्या कहे, जिनवाणी के मर्म को समझ जाने का दिल करता है |

अब तो.....
विषय कषाय से उबकर, रत्न-त्रय की और जाने को दिल करता है |
ज्यादा क्या कहे, जिन के पद-चिन्हों पर चलने का दिल करता है |

अब तो....
भोग-विलास और काम-वासना से उपर उठकर, ब्रम्हचर्य की चलने का दिल करता है |
ज्यादा क्या कहे, इन्द्रिय सुख की नहीं, आत्मसुख की प्राप्ति हो, दिल करता है |

अब तो....
जीव मात्र को पवित्र जिन धर्मं की सदा ही शरण मिले, ऐसी भावना भाने को दिल करता है |
ज्यादा क्या कहे, स्वयं जिन हो जाने और अहिंसा परमो धर्मं को फैलाने का दिल करता है |

अब तो....
सम्यक्दर्शन से ह्रदय को पवित्र कर,उसमे भगवान् को बसाने का दिल करता है |
ज्यादा क्या कहे, मुनीश के लघुनंदन जैसा बन जाने को दिल करता है |

अब तो....
मेरा त्रि-गुप्ती, पांच-समिति और दस धर्मं को जीवंत रूप में जीने का दिल करता है |
ज्यादा क्या कहे, भगवान् मैं भी दिगंबर बनू, ऐसी भावना जीवंत करने का दिल करता है |

अब तो...
जिन धर्मं के सिद्धांतो को practically करके, जीवन उनके जैसा बनाने का दिल करता है |
ज्यादा क्या कहे, वीतराग मुद्रा देखने पर अब मेरा भी मोक्ष जाने को दिल करता है | वैरागी हो वीतरागी बन जाने को दिल करता है....

SOURCE - The expression of my internal feelings toward Dharma [Inspired from a Childhood memory poem] --- Nipun Jain

--- ♫ www.jinvaani.org @ Jainism' e-Storehouse ---

Source: © Facebook

आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनि श्री क्षमासागरजी महाराज द्वारा रचित हृदयस्पर्शी कविताओं को आप हमारी वेबसाइट - www.maitreesamooh.com से पढ़ सकते है, कविताओं के संग्रह को प्राप्त करने के लिए आप [email protected] अथवा 94254-24984, 98274-40301 पर संपर्क कर सकते हैं।

मैत्री समूह

--- ♫ www.jinvaani.org @ Jainism' e-Storehouse ---

Sources
Categories

Click on categories below to activate or deactivate navigation filter.

  • Jaina Sanghas
    • Digambar
      • Acharya Vidya Sagar
        • Share this page on:
          Page glossary
          Some texts contain  footnotes  and  glossary  entries. To distinguish between them, the links have different colors.
          1. Bhopal
          2. Dharma
          3. JinVaani
          4. Nipun Jain
          5. Pravachan
          6. Vidyasagar
          7. आचार्य
          8. ज्ञान
          9. दर्शन
          10. दस
          11. धर्मं
          12. मुक्ति
          13. राम
          14. सागर
          Page statistics
          This page has been viewed 1593 times.
          © 1997-2024 HereNow4U, Version 4.56
          Home
          About
          Contact us
          Disclaimer
          Social Networking

          HN4U Deutsche Version
          Today's Counter: