29.07.2016 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 29.07.2016
Updated: 05.01.2017

Update

Source: © Facebook

भोजन करते समय न देखें टीवी, इससे होती है ऊर्जा नष्ट: पूर्णमति माताजी #Purnmati #vidyasagar

धर्मसभा को संबोधित करते हुए आर्यिका पूर्णमति माताजी ने कहा ज्यादा देर टीवी न देखें बच्चे, टीवी देखने से जिंदगी बर्बाद हो रही हैं। भोजन करते समय कभी टीवी नहीं देखनी चाहिए। इससे न सिर्फ ऊर्जा नष्ट होती है बल्कि शरीर के हार्मोन्स प्रभावित होते हैं। आज महिलाओं में सबसे अधिक बीमारियां इसी कारण हो रही है, क्योंकि वह भोजन करते समय टीवी देखती हैं।
उक्त आशय की बात आर्यिका पूर्णमति माताजी ने महावीर भवन में एक धर्मसभा के दौरान संबोधित करते हुए कही। एक वैज्ञानिक सर्वेक्षण के अनुसार नवजात शिशु में अन्य समय 85 प्रतिशत ऊर्जा रहती है और जब वह टीवी देखता है तो उस समय उसकी ऊर्जा घटकर मात्र 15 प्रतिशत रह जाती है। क्योंकि उससे निकलने वाली तरंगे उसकी ऊर्जा को नष्ट करती हैं। भोजन के वक्त तो बिल्कुल टीवी नहीं देखना चाहिए। क्योंकि इससे हार्मोंस इतने प्रभावित हो रहे हैं कि लोग गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं।

आर्यिका माताजी ने कहा कि आज व्यक्ति छोटी-छोटी बात पर तिलमिला उठता है, उसके पीछे कारण उसकी ऊर्जा का नष्ट होना है। आज के समय बाप की एक ही शिकायत है कि उसका बेटा नहीं सुनता। जबकि बेटे में ऊर्जा का ह्रास इतना हो चुका है कि वह खुद नहीं सुन पाता। कई बार मन करता है कि मंदिर जाना है लेकिन नहीं जा पाता है। माताजी ने कहा कि आज की माताएं इस बात में बड़ी खुश होती हैं कि उनका बेटा लगातार दो घंटे टीवी देखता है घंटों वीडियो गेम खेलता है। वास्तव में वह अपने बच्चे को जीवन बर्बाद कर रही हैं। आज की माताएं बच्चों के लिए सब बात करती हैं लेकिन जिनवाणी की बात नहीं करती हैं।

Source: © Facebook

acharya shri today picture #vidyasagar:) शंका समाधान -मुनि प्रमाणसागर जी ।

१. धन को धर्म के साथ जोड़कर ही कमाए!

२. तीर्थ यात्रा करने जाए तो संसार को घर पर छोड़ कर जाए! आजकल होता है की वाहन में बैठते साथ ही खाना पीना चालू हो जाता है, तीर्थ क्षेत्र पर भी अभक्ष्य खाया जाता है, और तो और कमरों में TV लगा होता है, वही पापास्रव होता रहता है जो घर पर होता है! फिर फायदा क्या है! अरे होना तो ये चाहिए की वहाँ जाकर पूजा पाठ / विधान / भजन करें! हो सके तो किसी ज्ञानी को साथ ले जाए जो स्वाध्याय कराये / उपदेश दे! तब जाके वो तीर्थ यात्रा सफल होगी, जीवन में कुछ change आएगा!

३. हमारे यहाँ " कल्याण कार " नाम का ग्रन्थ है (ग्रन्थ जी का नाम ठीक से सुन नहीं पाया तो हो सकता है अशुद्ध लिखा हो, उसके लिए उत्तम क्षमा) जिसमे ये वर्णन मिलता है की बारिश का जल सीधे इकठ्ठा किया जाए तो ये प्रासुक ही होता है और अमृत समान है!

४. नजर लगने को पूरी तरह नकारा नहीं जा सकता! ये सब waves / energy का खेल है! ये वैज्ञानिक व्यवस्था है, ऊर्जा का प्रवाह है! अंधविश्वास तब है जब बेकार के टोने टोटके किये जाए! नवकार मंत्र आदि का जाप करने को कोई दिक्कत नहीं है!

५. जो लोग office के बाद direct मंदिर जी जाते हैं, उनको ये ध्यान रखना चाहिए / चिंतन करना चाहिए, की उनके वस्त्रों की क्या और कितनी शुद्धि है! पूरे दिन में कितने और कैसे लोगों के संपर्क में आये होंगे! उन्ही अशुद्ध वस्त्रों को पहने हुए शास्त्रों को, गुरुओं को वेदी को छूना कहाँ तक उचित है!

६. अशुभ कर्मों के उदय को समता और पुरुषार्थ से ही जीता जा सकता है!

७. जिस घर पर सुबह ९ बजे से दोपहर ३ बजे तक मंदिर की परछाईं पड़ती है वो घर आवास का के योग्य नहीं है! व्यापार किया जा सकता है! ऐसे घरों में आवास करने पर समृद्धि नहीं आएगी, बीमारियां लगी रहेगी, आदि अशुभ होता है!

- प. पू. मुनि श्री १०८ प्रमाण सागर जी महाराज

Pic shared by mr Ronak Singhai:))

Source: © Facebook

"Time flies but not the memories" #mangitungi #Gyanmati

कुछ पल कुछ यादें- आर्यिका ज्ञानमती माताजी अपनी शिष्य आर्यिका चंदनामती, आर्यिका स्वर्णमती एवं स्वामी जी को मंगीतूँगी पर्वत पर आशीर्वाद देती हुई।

Source: © Facebook

Yesterday parliament photograph! ✿ ऐसी जानकारी जो आपको आज तक शायद ना पता हो! ✿ आचार्य विद्यासागर जी ने कहा अंगूर के रस का अभिषेक कर सकते हैं, कोई दोष नहीं हैं.. आचार्य श्री सकारात्मक विचार देते हैं, ये तो हम ही हैं की उनको Limitation में बांधना चाहते हैं.. कल भी आचार्य श्री बोले इंग्लिश की विरोध नहीं हैं..!!! मुनि श्री प्रमाण सागरजी के शंका समाधान में एक श्रावक ने पूछा कि... MUST READ!! & MUST SHARE PLEASE!

"आचार्य श्री विद्यासागरजी के पास एक श्रावक ने कहा कि मैं नित्य अभिषेक करता हूँ, और अब मुझे किसी काम से विदेश जाना हैं, तब मैं अभिषेक कैसे करूँ, जाना भी बहोत जरुरी हैं? तब आचार्य श्री ने कहा कि पाञ्च इंच कि प्रतिमा साथ में लेकर जाइए, वहां अभिषेक कर लेना | पर वहां कहीं भी अभिषेक के लायक पानी नहीं मिला तब फिर उस श्रावक ने अंगूर का रस निकाल कर उसने प्रतिमा पर अंगूर के रस का अभिषेक किया | विदेश से जब वह वापस आया तब वह आचार्य श्री के पास गया और उसने आचार्य श्री से कहा कि वहां कहीं भी अभिषेक करने लायक शुद्ध पानी नहीं था, इसी कारण मेने प्रतिमा पर अंगूर के रस का अभिषेक किया, गलती हो तो प्रायश्चित दीजिये, तब आचार्य श्री ने कहा कि कोई गलती नहीं हैं, अंगूर के रस का अभिषेक कर सकते हैं, कोई दोष नहीं हैं | #vidyasagar #Jainism #ShivrajSingh #CM

--- ♫ www.jinvaani.org @ Jainism' e-Storehouse ---

Update

Source: © Facebook

क्या कहा कल आचार्य श्री ने विधानसभा में? कुछ points #vidyasagar #vidhansabha:)) MUST READ AND SHARE POINTS

- चुनाव के बाद सत्ता और विपक्ष दोनों देश-प्रदेश और जन के विकास के लिये कार्य करें। इससे लोकतंत्र समृद्ध होगा, देश आगे बढ़ेगा। प्रजातंत्र के विशाल आकाश में सत्ता और विपक्ष एक दूसरे के सहयोग के बिना ऊँचा नहीं उड़ सकते। जनता अमूल्य निधि है। इसकी रक्षा और सुरक्षा करना विधायिका का कर्त्तव्य है।

- धर्म का प्रवाह स्वचालित नहीं होता। इसे प्रयासपूर्वक आगे बढ़ाना होगा। धन का संग्रह सिर्फ लोक कल्याण में वितरण के लिये है। भारत में वितरण व्यवस्था सुधरना चाहिये।

- शिक्षा और चिकित्सा दोनों में सुधार होना चाहिये। दोनों को व्यवसायिकता से दूर रहना चाहिये। विद्यार्थी शारीरिक और मानसिक रूप से बीमार हो रहे हैं उन्हें बचायें।

- इतिहास की अनदेखी हो रही है। इतिहास की ओर लौटने का समय है। अपने गौरव को पहचाने और पुन: जीवित करें। मानस में आत्म-सम्मान जागृत करें।

- सिर्फ पश्चिम ही नहीं भारत भी विज्ञान के ज्ञान से समृद्ध रहा है। प्राचीन भारत ज्ञान की सभी शाखाओं से समृद्ध था।

- अपनी मातृभाषा में ही शिक्षण व्यवस्था होनी चाहिये। अंग्रेजी में बुराई नहीं है। भाषा के रूप में पढ़ सकते हैं लेकिन शिक्षण और अभिव्यक्ति मातृभाषा में ही होना चाहिये। प्रतिभा का आकलन मातृभाषा में ही हो सकता है।

- अटल बिहारी हिन्दी विश्वविद्यालय की स्थापना के लिये मुख्यमंत्री श्री चौहान प्रशंसा के पात्र हैं।

- पिछले 70 वर्ष में जितनी प्रगति होनी चाहिये वह दिख नहीं रही। जबकि यह संभव था। मध्यप्रदेश संपूर्ण राष्ट्र का मध्य बिन्दु है। यही राष्ट्र का शोधन बिन्दु सिद्ध हो सकता है। विकास और समृद्धि के लिये सत्ता और विपक्ष दोनों को साथ मिलकर चलना होगा।

- दुनिया में कई देश हैं लेकिन प्रजातांत्रिक रूप से जितना समृद्ध भारत है उतना समृद्ध दूसरा देश नहीं।

News in Hindi

Source: © Facebook

UPDATE आज आचार्य विद्यासागर जी ने केशलुँचन किया.. आज उनका उपवास रहेगा.. today morning picture #vidyasagar #bhopal

Source: © Facebook

✿ रावण, मेघनाथ, कुम्भकर्ण - ये कौन थे? #Jainism #Mangitungi #Ramayan

इनके वंश का नाम राक्षशवंश था वास्तव में ये राक्षश नहीं थे और राक्षश द्वीप पर रहते थे, जैन धर्मं को मानने वाले तीर्थंकर के भक्त थे, क्या रावण के दस मुख थे! नहीं! बचपन में जब रावण खेल रहा था तो इनके गले में पड़ी हुई नो रत्नों की माला में इनके नो मुख दिखाई दिए और इनका नाम दशनन होगया... रावण ने बहुत तपस्या की थी और और पूर्व कर्म का ऐसा उदय आया की उन्हें ऐसे युद्ध हुआ और उन्हें नरक जाना पड़ा और ये सब शाकाहारी थे, मांसाहार का तो सेवन सोच भी नहीं सकते थे, रावण शांतिनाथ भगवन के बहुत बड़े भक्त थे, एक बार भक्ति करते हुए वीणा [एक बैंड] बजाते हुए वीणा के तार टूट गए तो इन्होने अपने हाथ की नाडी निकाल ली और भक्ति करने लगे, अभी तो नरक में है रावण भविष्य में तीर्थंकर बनेंगे!! पर रावण का चरित्र अपने आप में एक सम्पूर्ण व्यक्तित्व है. रावण सब कलाओं में पारंगत और ज्ञानी था. अंततः लक्ष्मण रावण को मारता है. अंत में, राम, जो एक ईमानदार जीवन जीते हैं, राज्य त्याग के बाद, एक जैन साधु बन जाते हैं और मोक्ष पा लेते है.. दूसरी ओर, लक्ष्मण और रावण नरक में जाते हैं. हालांकि यह भविष्यवाणी भी है कि अंततः वे दोनों ईमानदार व्यक्ति के रूप में पुनर्जन्म लेंगे और उनके भविष्य के जन्म में मुक्ति प्राप्त हो जाएंगी रामायण में भी भगवान राम किसी न किसी रूप में रावण की विद्वता के कायल हैं. राम ने ही लक्षमण को रावण से नीति की शिक्षा लेने की लिए भेजा. तो फिर किस कारण रावण राक्षसत्व ढो रहा है? क्यूँ हमारे इतिहासकारों ने रावण के गुणों को आम आदमी पर ज़ाहिर नहीं होने दिया? सामान्यतः कहा जाता है की पौराणिक राजा लेखकों से अपनी इच्छानुसार इतिहास लिखवाते थे. अगर यह सच है तो हों सकता है शायद इसी कारण सुग्रीव, अंगद और हनुमान जी भी आज तक वानरत्व ढो रहे हों. वाल्मीकि रामायण अनुसार रावण एक वीर, धर्मात्मा, ज्ञानी, नीति तथा राजनीति शास्त्र का ज्ञाता, वैज्ञानिक, ज्योतिषाचार्य, रणनीति में निपुण एक कुशल राजनीतिज्ञ, सेनापति और वास्तुकला का मर्मज्ञ होने के साथ-साथ ब्रह्म ज्ञानी तथा बहु-विद्याओं का जानकार था। एक पंचेन्द्रिय जीव के पुतले को जलता हुआ देख अनुमोदना करना, खुश होना ये पाप बांध का कारण है, वैसे रावण नरक गया, फिर रावण के जीवन में जो बुराई थी उससे बचो जिससे हमें नरक न जाना पड़े, फिर रावण ने बुरे कर्म किये और नरक जाना पड़ा, मेघनाथ, कुम्भकर्ण ये दोनों तो मोक्ष गए है!! ओह...मोक्ष और सिद्ध शिला पर विराजमान जीव के पुतले जलते हुए खुश होना!! ओह..क्या गति बंध होंगा, क्या पाप बंध होगा, जैसे पत्थर पर लकीर को मिटाया नहीं जा सकता ऐसे कर्मो का बंध होगा जिसको भोगना ही पड़ेगा...

--- ♫ www.jinvaani.org @ Jainism' e-Storehouse ---

Sources
Categories

Click on categories below to activate or deactivate navigation filter.

  • Jaina Sanghas
    • Digambar
      • Acharya Vidya Sagar
        • Share this page on:
          Page glossary
          Some texts contain  footnotes  and  glossary  entries. To distinguish between them, the links have different colors.
          1. Acharya
          2. Bhopal
          3. Jainism
          4. JinVaani
          5. Vidyasagar
          6. आचार्य
          7. ज्ञान
          8. तीर्थंकर
          9. दस
          10. धर्मं
          11. पूजा
          12. महावीर
          13. मुक्ति
          14. राम
          15. वीणा
          16. सत्ता
          17. सागर
          Page statistics
          This page has been viewed 1569 times.
          © 1997-2024 HereNow4U, Version 4.56
          Home
          About
          Contact us
          Disclaimer
          Social Networking

          HN4U Deutsche Version
          Today's Counter: