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"दलाई लामा ने विश्वशांति के लिए बढ़ाया जैन धर्म की ओर कदम"
News 26 July 2016
परम पावन दलाई लामा ने आज प्रख्यात जैनाचार्य डॉक्टर लोकेश मुनि के साथ आयोजित संगोष्ठी के दौरान उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि” आज दुनिया तो अंतरधार्मिक संवाद की बहुत आवश्यकता है ।इसी से बहुत से मतभेद नासमझ व टकराव खत्म हो सकते हैं । उन्होंने कहा ये कितना विरोधाभास है कि एक ही धर्म को मानने वाले एक धर्मग्रंथ को मानने वाले दो परंपराएं आपस में लड़ती है और एक दूसरे को मार डालती हैं ।“ उन्होंने कहा कि “ जातिवादी जूनून और सांप्रदायिक कट्टरता में अंतर धार्मिक संवाद के द्वारा आपसी समझ बढ़ा कर कमी लाई जा सकती है ।“ उन्होंने कहा “मन की शांति के बिना विश्व शांति कदापि संभव नहीं.. मन में अगर क्रोध व घृणा का भाव है तो वो शांति स्थापित नहीं कर सकता । उन्होंने कहा कि विश्व शांति के लिए केवल प्रार्थना ही नहीं एक्शन प्लान की आवश्यकता है ।इस दृष्टि से जैन और बौद्ध धर्म साथ मिलकर मानवता के हित में बड़ा कार्य कर सकते हैं क्योंकि जैन धर्म भी अहिंसा में विश्वास करता है,करुणा में विश्वास करता है, शांति में विश्वास करता है और यही बौध्द धर्म का भी विश्वास है ।“ उन्होंने आचार्य लोकेश एवं सर्व धर्म के सदस्यों के द्वारा कैराना एवं मुजफ्फरनगर में सांप्रदायिक सौहार्द के लिए किए गए प्रयासों की सराहना की । इस अवसर पर अहिंसा विश्व भारती के संस्थापक एवं प्रख्यात जैनाचार्य डॉक्टर लोकेश मुनि जी ने कहा कि “हिंसा और आतंकवाद किसी समस्या का समाधान नहीं है,हिंसा प्रतिहिंसा को जन्म देती है,आपसी संवाद एवं वार्ता के द्वारा हरेक समस्या को सुलझाया जा सकता है ।“ आचार्य लोकेश ने कहा कि “पर्यावरण प्रदूषण से भी ज्यादा वैचारिक प्रदूषण खतरनाक है । हमें अपने अस्तित्व और विचारों की तरह दूसरों के भी अस्तित्व और विचारों का सम्मान करना चाहिए।“ इस अवसर पर आगामी 27 नवंबर रविवार को मुंबई में दलाई लामा और आचार्य लोकेश मुनि जी के सानिध्य में एक राष्ट्रीय संगोष्ठी जिसका विषय है ‘शांति और सद्भावना अंतरधार्मिक संवाद द्वारा ‘आयोजित करने की घोषणा की गई। अहिंसा विश्व भारती इसका आयोजन करेगी और दलाई लामा और आचार्य लोकेश मुनि के साथ साथ विभिन्न धर्मों के आचार्यों को आमंत्रित किया जाएगा । मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस औऱ केंद्रीय सामाजिक न्याय आधिकारिता मंत्री श्री रामदास आठवले भी इसमें उपस्थित रहेंगे ।