26.07.2016 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 26.07.2016
Updated: 05.01.2017

Update

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बच्चो का खेल नही किसी प्रतिमा के प्राण और पत्थर को अलग करना, आप और हमे को दुष्प्रभाव झेलना पड़ सकता है!
मंदिर जीतना प्राचीन होगा उतना ही अतिशयकारी होगा,वहां उत्पन्न हुई सकारत्मक ऊर्जा का मन, चिंतन और समाज पर भी सकारत्मक प्रभाव पड़ता हैं!

पत्थर में भी प्राण आते हैं उसके पूजने के बाद,धीरे धीरे प्रतिमा में प्राण का संचार होता जाता हैं,और देवी देवता अतिशय कर उस प्रतिमा को अतिशयकारी रूप दे देते हैं,जो प्रतिमा वर्षो से पूजी जा रही हो,या जिस स्थान पर पूजी जा रही हो वहां सकारात्मक ऊर्जा का पिंड या केंद्र स्थापित हो जाता हैं,उस सकारात्मक ऊर्जा या शक्ति को छोड़कर अगर उस प्रतिमा को और कही ले जाकर स्थापित कर दिया जाये,तो प्रतिमा के प्राण उस पुराने स्थान पर ही रह जाते हैं,फलस्वरूप वहां की (स्थान की) सकारत्मक ऊर्जा नकारत्मकता में परिवर्तित होने लगती हैं!

नकारात्मक ऊर्जा आखिर हैं क्या??

ब्रह्माण्ड में कही भी वातावरण के प्रतिकूल परिस्थिति में स्थान और ऊर्जा का टकराव होना, किसी स्थान विशेष पर अविनय होना, किसी वस्तु विशेष शक्ति का स्थान पर अपमान होना ही नकारात्मक ऊर्जा को जन्म देती हैं! शुभ कार्य शुभ ऊर्जा देते हैं और अशुभ कार्य अशुभ ऊर्जा..

कई वर्षों से जहाँ देव स्थान रहा हो,या वो भूमि जहाँ ईष्ट देव को पूजा गया हो वहां पर देव प्रतिमा विस्थापित करने के पश्चात देव भूमि पर चलना फिरना या फिर उस पवित्र स्थान पर अपवित्रता या अशुद्धि होना ही उस सकरात्मक पुंज का अविनय हैं!

*देव भूमि पर किया गया कई वर्षों का जप तप और विधान पूजा द्वारा एक विशेष स्थान पर सकारात्मक ऊर्जा का पिंड विराजमान हो जाता हैं जो दिखाई नही देता परंतु मंदिर में प्रतिदिन दर्शन पूजन करने वालो की रक्षार्थ सदैव उनके साथ रहता हैं और मंदिर को अतिशय युक्त बनाता है,अतः जहाँ तक हो हमें ऐसे स्थान का विनय श्रद्धा पूर्वक करना चाहिए!*

उस भूमि पर स्थान का अविनय हो और वायु मण्डल में नकारत्मकता का वास होना ही नकारात्मक ऊर्जा हैं,_
*यही नकारात्मक ऊर्जा होती हैं,जो सोचा नही वह भी घटित होता हैं,अनहोनी का सूचक हैं नकारात्मक ऊर्जा...*

अगर आप किसी अन्य देवता के (स्थान) पर चप्पल पहन कर चढ़ जाते है,प्रतिक्रिया में वो आपको उठाकर पटक देते हैं या फिर आपके जीवन में हलचल पैदा कर देते हैं,क्योंकि उस जगह पर भेरू देवता को पूजा जा रहा हैं, तो क्या हमारे वीतरागी देव जिनको जिस स्थान पर सालो से पूजा जा रहा हो,उस स्थान पर कोई जूता चप्पल पहन कर चल सकता हैं क्या? कतई नही....
इसका परिणाम आप और हम लोगो को किसी भी रूप में भुगतना पड़ सकता हैं और ऐसा ही हो रहा हैं जब से प्रतिमा अन्य जगह विस्थापित हुई हैं,समाज में अनहोनी बहुत हो रही हैं,चाहे वो अनहोनी किसी रूप में हो भुगतान हम सबको करना हैं!

मुनिश्री मुनिसागर महाराज के अनुसार:-

प्रतिदिन मंदिर जी में णमोकार मन्त्र की जाप अवश्य करे! इससे कर्मो का क्षय होता हैं विघ्न टलते हैं,जो होना हैं वो तो होना ही है,बस अपने कर्मो का क्षय करके विघ्नों को टाल सकते हो या कम कर सकते हो,इसलिए मंदिर जी में णमोकार मन्त्र की माला अवश्य करे इससे अनुकूल स्थिति और सकारात्मकता उत्पन्न होती हैं!
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_परम् विदुषी आर्यिका माँ ने कहाँ हैं जितना हो सके,भक्ताम्बर जी का विधान सतत करे,श्री भक्ताम्बर जी का पाठ करे,णमो कार मन्त्र की जितनी जाप हो सके करे,यही सब विघ्न को हरने वाले हैं!_
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_कई वर्षों पूजित प्रतिमा सिर्फ और सिर्फ मुनिराज ही अन्य जगह विस्थापित कर सकते हैं कोई विधानाचार्य या साधारण मनुष्य आदि नही,जब प्रतिमा का विराजमान प्राणमन्त्र मुनि पढ़ते हैं तो उन्हें वहां से विस्थापित करकेे अन्य जगह विराजमान करने का मन्त्र सूत्र भी उन्ही _मुनि द्वारा ही होना चाहिए,वरना नगर समाज और सभी लोगो के लिए हानि और अनहोनी का सूचक हैं!_

*मन्दिर जी में शुद्धि का ध्यान रखे*
*शूद्धि रखने से पूजा फल दस गुना मिलता हैं,जीवन पर्यन्त सुख शांति प्राप्त होती हैं!*

_मंदिर जी सोला सुद्धि का विशेष ध्यान रखे,विशेष पुरुष वर्ग अपने घर के_ _आंतरिक वस्त्र पूजा में उपयोग न करे,_

_बिना स्नान मंदिर जी न जावे!_

_वर्षा काल में पूजा वस्त्र घर से पहन कर न जावें, सड़क पर अशुद्धि गन्दगी और कीचड़ सब मिल जाता हैं,और उसके पश्चात् अभिषेक करना भगवन को स्पर्श करना महापाप हैं!_

_किसी के दर्शन करते वक़्त सामने से निकल कर या खड़े होकर बाधा उत्पन्न न करे,_ _इसमें सर्वाधिक दोष लगता हैं,_

_जितना हो सके विनय से पूर्वक प्रभु का प्रक्षाल या अभिषेक करे!_

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today update and picture ✿ गौ संरक्षण के लिए सरकार व समाज ठोस कदम उठाएं ✿ #vidyasagar #bhopal

भास्कर समूह के चेयरमैन से आचार्यश्री ने कहा प्रदेश सरकार को चाहिए कि वह समाजों का सहयोग लेकर गौ संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाए। गाय सुरक्षित रह सकें, इसलिए गौ शालाओं की संख्या भी बढ़ाई जाए और इसके लिए सरकार भूमि भी दे। यह बात आचार्यश्री विद्यासागर महाराज ने हबीबगंज जैन मंदिर में भास्कर समूह के चेयरमैन रमेशचंद्र अग्रवाल से चर्चा में कही। अग्रवाल ने आचार्यश्री का आशीर्वाद लेने के बाद उनसे निवेदन किया कि वे मार्गदर्शन दें कि गौ संरक्षण की दिशा में कौन से कारगर उपाय किए जाएं, क्योंकि शहरों में गौ शालाओं और जैविक खाद निर्माण व उसके भंडारण के लिए भूमि का अभाव है। उन्होंने कहा कि सरकार गौ संरक्षण के लिए जो कुछ कर रही है, वह पर्याप्त नहीं है। ठोस कदम उठाना चाहिए। सरकार व समाज के संयुक्त प्रयास शुरू किए जाएं, तो गौ रक्षा की दिशा में कारगर परिणाम आते दिखाई देने लगेंगे।

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✿ मुनि पुंगव सुधासागर जी का चातुर्मास ब्यावर में हुआ हैं! इस अवसर पर मुनिराज का चरण प्रक्षाल किया गया:) ✿ #Sudhasagar

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✿ मिथ्यातम नाश वे को, ज्ञान के प्रकाश वे को,
आपा पर भास वे को, भानु सी बखानी है॥ #Jinvaani #Vidyasagar

छहों द्रव्य जान वे को, बन्ध विधि मान वे को,
स्व-पर पिछान वे को, परम प्रमानी है॥
अनुभव बताए वे को, जीव के जताए वे को,
काहूँ न सताय वे को, भव्य उर आनी है॥
जहाँ तहाँ तार वे को, पार के उतार वे को,
सुख विस्तार वे को यही जिनवाणी है॥
जिनवाणी के ज्ञान से सूझे लोकालोक,
सो वाणी मस्तक धरों, सदा देत हूँ धोक॥
है जिनवाणी भारती, तोहि जपूँ दिन चैन,
जो तेरी शरण गहैं, सो पावे सुख-चैन॥

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✿ tatva gyan ke abhav me koi jivan mahatvapurn nahi! #vidyasagar #bhopal:) cutting shared by mr. Ritesh Jain, Bhopal:)

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क्या धार्मिक क्रियाएँ करके आपके व्यवहार और परिणामों में परिवर्तन आया है?? अगर नहीं तो आपकी क्रियाएँ केवल कोरी क्रियाएँ ही है। धार्मिक क्रियाओं के आयोजन के साथ साथ उनके प्रयोजन को भो समझना अति आवश्यक है।
जो भी करें समझने का प्रयास करें, पूजा करते समय पूजा की पंक्तियों के अर्थ और भावों की ओर भी ध्यान दें।

सोचा करता था भोगों से भुझ जायेगी इक्छा ज्वाला,
परिणाम निकलता है जैसे मानो जैसे पावक में घी डाला।
तेरे चरणों की पूजा से इन्द्रिय सुख की ही अभिलाषा,
अब तक ना समझ ही पाया प्रभुवर सच्चे सुख की परिभाषा।

इन पंक्तियों को ध्यान से पढ़ें!!

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Exclusive click:) "हम भारत में रहते हैं, यह भावना रखेंगे तो संस्कृति से जुड़े रहेंगे। इंडिया में रहते हैं, यह सोचने पर आपके भाव कुछ और होंगे... ' -आचार्य विद्यासागर जी #vidyasagar

आचार्यश्री बोले- उनकी इच्छा थी कि उनका चातुर्मास चौक में हो, पर वे स्वयं सोचें कि चौक में तो चौक पूरने तक की जगह नहीं है। समारोह में जो श्रृद्व‌ालुओं की भीड़ उमड़ी है, इसका चौक में समावेश हो पाना मुश्किल था। मेरा चातुर्मास हबीबगंज जैन मंदिर में न मानकर पूरे भोपाल में माने।

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Milestone #bhopal chaturmas:) BREAKING UPDATE ✿ *विधानसभा को संबोधित करेंगे आचार्यश्री*

*परम पूज्य आचार्यश्री विद्यासागर जी महामुनिराज 28 जुलाई, गुरूवार को दोपहर 3 बजे मप्र विधानसभा में प्रवचन कर शासन प्रशासन को दिशा देंगे! मप्र विधानसभा के *स्पीकर श्री सीताशरण शर्मा ने कल दोपहर आचार्यश्री के दर्शन किए और विधानसभा में प्रवचन हेतु श्रीफल भेंट किया।* उनके भाजपा की वरिष्ठ नेता श्रीमती सुधा मलैया व जैन समाज के अध्यक्ष श्री प्रमोद जैन हिमांशु भी थे।

जानकारी श्री ब्रजेश जैन ने दी हैं - उनका शुक्रिया:))

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✿ रावण ने एक पराई स्त्री सीता का अपहरण किया और उनको अपनी पटरानी बनाना चाहा,... #mangitunigi #Jainism

जब रावण बहुत सारी विद्या प्राप्त करके दिग्विजय करने के लिए निकलता है तो बहुत राजाओ को हराता हुआ चलता है और इस विजययात्रा में रावण नलकूबर की स्त्री का प्रेमप्रस्ताव को ठुकराकर अपने को ऊँचा उठाता है और केवली भगवान् का उपदेश सुनकर प्रतिज्ञा करता है की मैं उस परनारी का उपभोग नहीं करूँगा जो स्वयं मुझे नहीं चाहेगी और दूसरी बड़ी बात जब श्री राम हनुमान जी को लंका भेजते है की सीता का समाचार लाओ वो कैसी है तब हनुमान जाते है वहा पर बन्दर का रूप बनाकर और लंका में जो उत्पात मचाते है वो तो सबको पता है और रावण के राजमहल की छत को एक लात मरते है और वो छत समुद्र में जाकर गिरजाती है फिर लोट कर आते है और राम को बोलते है आपकी सीता पवित्र और निष्कलंक है तब राम बोलते है ऐसा कैसे संभव है वो रावण सीता को लगाया फिर भी सीता निष्कलंक तब हनुमान जी, सुघ्रीव, इत्यादि लोग थोडा सा हँसते है और बोलते है "रावण विधाधर है उसकी -आकाशगामिनी विद्या- नष्ट हो जाती अगर वो सीता को छुने की कोशिश भी करता"

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