23.06.2016 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 23.06.2016
Updated: 05.01.2017

Update

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Acharya shri vidyasagar ji.. apne Guru Acharya Gyansagar ji ke saamne Kesh lunchan karte hue rare picture... www.jinvaani.org

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सम्यक् चरित्र ज्ञान की जलती हुई मशाल.. ओह सदलगा के संत तूने कर दिया कमाल..

लहरा रहा अध्यात्म का सागर महा विशाल.. ओह सदलगा के संत तूने कर दिया कमाल..

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मंत्र नमोकार हमें प्राणो से प्यारा.. ये हैं वी जहाँ जिसने लाखों को तारा..

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"कुण्डलपुर महामस्तकाभिषेक 2016" के अवसर पर भारतीय डाक द्वारा जारी आवरण पत्र डाक टिकट की प्रति....👇🏼👇🏼

News in Hindi

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आज महाराज जी के आहार होने पर कुछ पंक्तियां लिखी, सोचा आप सबके साथ share करूं:

आज मेरे घर कोई आया,
नाम मालूम नहीं,
कोई ज्ञानी कहता है, कोई अहिंसा, कोई समता।

मेरे पास दो आंखे हैं,
एक अच्छा देखती है, और एक बुरा
मगर उसकी तो एक ही आंख थी - समता।

मैंने सुरक्षा के लिये घर लिया, मगर मैं तो घर के बन्धन में ही पङ गया।
और वो घर को ही छोङ दिया।

इस दुनिया में सबसे सुलभ है- राग।
हम सब जैसे Fevicol से हो गये हैं. जो मिला उससे चिपक गये।
मगर वो, सबसे अलग - अचिपक।

हम जोङ लेते हैं, अपने को बहुतो से
शरीर से, परिवार से, समाज से, धन से, देश से,
मगर वो अजोङ, और इसलिये बेजोङ।

जब चले तो जीव रक्षा,
जब ठहरे तो ऐसा ठहरे
कि मन भी ठहर जाये।

जब हम इच्छा करते हैं, तो उसकी जो मेरा शाश्वत कभी हो नहीं पाया।
तब वो इच्छा करते हैं, उस अनिच्छा की- जो कभी मुझे समझ नहीं आया।

वो वीर मैं कायर।
वो दीपक मैं अन्धकार
वो क्षमा, मैं गुस्सा
वो मृदु, मैं कठोर
वो सरल, मैं टेढ़ा
वो सन्तोष, मैं लालच
वो दया, मैं दानव
वो अपने में रमने वाले राम, मैं विषयों में रचा-पचा रावण
वो शुक्ल, मैं कृष्ण
वो पवित्र, मैं कीचङ
वो गुरू, मैं शिष्य भी नहीं।
वो लोकोत्तम, मैं अधम
वो मंगल, मैं रहा संसार में गल।
वो सब कुछ, मैं कुछ भी नहीं।

By Shrish Jain

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Wao

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दर्शन करते हैं हनुमान ताल मंदिर जी, जबलपुर में विराजमान 1400 वर्ष प्राचीन मनोहारी आदिनाथ जी

***विहार update***
कल 22 जून 2016 को आचार्य श्री वर्धमान सागरजी महाराजजी ससंग(37 पिच्छी) का तपोभूमि तीर्थ, उज्जैन में मंगल प्रवेश हुआ था...
शाम को इंदौर के लिए विहार हो गया...
आज आचार्य श्री का उज्जैन-इंदौर मार्ग पर विहार चल रहा हे..

जय जय गुरुदेव...

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