News in Hindi
Source: © Facebook
जल संरक्षण के लिए एक मंच पर आये धर्म गुरु
सीमित संसाधन असीमित इच्छाओं की पूर्ति नहीं कर सकते - आचार्य लोकेश
अहिंसा विश्व भारती के संस्थापक आचार्य डा. लोकेश मुनि ने धर्म गुरुओं से अपील की कि वे धार्मिक आयोजनों में जल संरक्षण और पर्यावरण रक्षा का महत्त्व बताएं| उन्होंने कहा कि राजनीतिक दल मिलकर न्यूनतम साझा कार्यक्रम के तहत सरकारें चला सकते हैं तो हम समाज उद्धार के लिए मंच एक पर क्यों नहीं आ सकते| सभी धर्मों में 90 प्रतिशत सिद्धांत मनुष्य कल्याण के है|
आचार्य लोकेश ने जयपुर के बिड़ला सभागार में आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुए का कि आज हमारी दुनिया में बड़ी तेजी के जलवायु परिवर्तन हो रहा है, पानी का स्तर निरंतर गिरता जा रहा है, ग्लेशियर पिघल रहे है, तापमान बढ़ रहा है, ओजोन की छतरी में छेद हो रहा है, जिससे सूरज से निकलने वाली पैराबेगनी किरणे प्राणी मात्र को हानि पहुंचा रही है, वातावरण प्रदूषण बढ़ रहा है| विश्वव्यापी इस समस्या के समाधान के लिए हमें इसके मूल कारणों को खोज कर इसका निवारण करने की आवश्यकता है|
आचार्य लोकेश ने कहा कि जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर भगवान महावीर ने ‘षट् जीवनिकाय’ सिद्धांत की मौलिक प्रस्थापना की थी कि पृथ्वी, पानी, अग्नि, वायु, वनस्पति त्रसकाय ये सभी जीव है| आवश्यकता से अधिक इनका उपयोग न करे| उनका कथन था कि पदार्थ सीमित हैं और इच्छाएं असीम है| सीमित पदार्थ आवशयकताओं की पूर्ति कर सकते है परंतु असीम इच्छाओं की पूर्ति नहीं कर सकते|
सर्व धर्म संसद के संयोजक महर्षि भृगु पीठाधीश्वर गोस्वामी सुशील जी महाराज, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक श्री इन्द्रेश जी, अखिल भारतीय इमाम संगठन के अध्यक्ष इमाम उमर अहमद इलियासी, बंगला साहिब गुरूद्वारे के अध्यक्ष परमजीत सिंह चंडौक जी, ईसाई धर्म गुरु फादर प्रसाद, यहूदी धर्म गुरु रबी आइजेक, पीठाधीश्वर अवधेशाचार्य, दिगंबर जैन संत शशांक मुनि जी महाराज, राजस्थान विधान सभा के अध्यक्ष श्री कैलाश मेघवाल, राजस्थान सरकार के मंत्री श्री कालूराम गुज्जर, वरिष्ठ नेता ओंकार सिंह लखावत, संयोजक निर्मल जैन उदय इंडिया के एडिटर इन चीफ दीपक रथ ने भी पर्यावरण संरक्षण पर अपने विचार प्रस्तुत किये| संगोष्ठी का संयोजन महेंद्र सिंह तारातरा ने किया|
Source: © Facebook