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आत्मा का आत्मा से साक्षात्कार है ध्यान साधना: शिवमुनि
उदयपुरवासियों को निराश करने का कोई इरादा नहीं है,
उदयपुर चातुर्मास के लिए बोले: जैसा समय और परिस्थियां होंगी आपको सूचना करवा दी जाएगी
उदयपुर, 21 मई। आचार्य डॉ़ शिव मुनि ने कहा कि ध्यान साधना आत्मा का आत्मा से साक्षात्कार करना है। आपने ध्यान साधना और आत्मज्ञन के महत्व के बारे में विस्तार से बताते हुए हर एक को इसे जीवन में उतारने का संकल्प कराया।
वे आज पंचायती नोहरे में आयोजित धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ के तत्वावधान में तथा आचार्य डॉ. शिवमुनि के सानिध्य में दो दिवसीय ध्यान साधना शिविर के दूसरे दिन शनिवार को भी कई शिविरार्थियों ने ध्यान- साधना के विभिन्न उपक्रम किये। पंचायती नोहरा में चल रहे बेसिक शिविर में प्रात: 6 बजे के नियत समय से भी पूर्व शिविरार्थी पहुंचना प्रारम्भ हो गये और देखते ही देखती कुछ ही समय में पाण्डाल शिविरार्थियों से भर गया। शिविरार्थियों ने पूरे मन से एकाग्र होकर 6 बजे से 9 बजे तक ध्यान- साधना की और अपने मन, वचन और काया को शुद्ध करने के विभिन्न उपक्रम किये।
इस अवसर पर धर्मसभा में आचार्यश्री सेे प्रवर्तक का पद मिलने के बाद पहली बार कई किलोमीटर की यात्रा कर उदयपुर पधारे डॉ़ राजेन्द्र मुनि का शब्दों के आधार पर बहुमान करते हुए कहा कि सात वर्ष के बाद आज पहली बार आचार्यश्री के दर्शन पाकर बहुत प्रसन्नता हुई। आपने कहा कि जीवन हमेशा स्वभाव दशा में चलना चाहिये। मैं शरीर नहीं आत्मा हूं, मैं जड़ नहीं चेतन हूं। घर परिवार में रहते हुए भी त्याग की भावना रखना ही स्वभाव दशा कहलाती है। आपने हास्य व्यंग्य में बोलते हुए कहा कि यह पंचायती नोहरा है, यहां पंचायत तो होगी ही। लेकिन सभी पंचायतों के साथ- साथ थोड़ी बहुत आत्मा की पंचायत भी होनी चाहिये। पहले पगड़िय़ां सिर की शोभा बढ़ाया करती थी, लेकिन अब वो ही दुकानों की शोभा बढ़ा रही है। उन्होंने समाजजनों को भी आपस में मिल जुल कर कार्य करने तथा सर्वसम्मति से निर्णय लेकर कार्य करने का उपदेश दिया।
पुष्करवाणी ग्रुप ने जानकारी लेते हुए बताया कि श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ के अध्यक्ष अंबालाल नवलखा व महामंत्री हिम्मतसिंह गलुण्डिया उदयपुर द्वारा आचार्यश्री से वर्ष 2017 का चातुर्मास उदयपुर में करने की बार- बार विनती करने तथा कोई गलती हुई हो तो उसे क्षमा करने की बात करने आचार्यश्री ने कहा कि कोई गलती नहीं करता है, गलती की कोई बात नहीं है। मैं आपको निराश नहीं करना चाहता और न ही मेरा ऐसा कोई भाव रहा है, चातुर्मास होना और ना होना यह सब समय और परिस्थितियों पर निर्भर करता है। हमेशा वो ही नहीं होता जो हम चाहते हैं। 2016 के भीलवाड़ा के चातुर्मास के लिए भी परिस्थितियां बनी, वो कैसे बनी यह भी समय की बात थी।
उन्होंने उदयपुर के श्रावकों से कहा कि आपकी भक्ति भाव और भावना में कोई कमी नहीं है। हम आपकी भक्ति- भावना की सराहना करते हैं। फिर भी अभी बहुत समय है। तब जैसा समय और परिस्थितियां होगी हम आपको सूचना कर देंगे। अभी से हम घोषणा कर दें यह सम्भव नहीं होगा। आपको निराश करने का कोई इरादा नहीं है, जब जैसा समय और परिस्थियां होंगी आपको सूचना करवा दी जाएगी। आचार्यश्री से प्रवचन के बाद उपस्थित सभी समाजजनों को 2 मिनिट का ध्यान योग भी कराया।
धर्मसभा में शनिवार को श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ उदयपुर के हर पदाधिकारी, कार्यकर्ता और समाजजनों ने एक स्वर में आचार्यश्री को वर्ष 2017 का चातुर्मास करने के लिए एक स्वर में जयकारों के साथ बार- बार विनती की गई।
पंचायती नोहरा में बैसिक शिविर प्रात: 6 बजे से 9 बजे तक चला जबकि बेसिक शिविर अम्बा गुरू शोध संस्थान उदयपुर में प्रात: 10 बजे से सायं 5 बजे तक चला। इसमें भी कई शिविरार्थी पहुंचे जिन्हें मंत्री शिरीष मुनि ने ध्यान साधना के विभिन्न उपक्रम करवाये।
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