News in Hindi
पहली बार जैन साध्वी बनी महामंडलेश्वर, ऐसी है साध्वी बनने की कहानी
जैन संतों की उपस्थिति में महामंडलेश्वर पट्टाभिषेक समारोह हुआ।
उज्जैन/इंदौर।सिंहस्थ में पहली बार जैन साध्वी सनातन धर्म से जुड़कर महामंडलेश्वर बनी तो इस अद्भुत नजारे को देखने सैकड़ों लोग उमड़े। सदावलरोड पर मां चंदन पमद्मावती के पंडाल में सनातन और जैन संतों की उपस्थिति में महामंडलेश्वर पट्टाभिषेक समारोह हुआ। जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज ने जोधपुर की जैन साध्वी चंदनप्रभानंद के कान में मंत्र सुनाया और पलभर में ही साध्वी जूना अखाड़े की महामंडलेश्वर बन गईं। परंपरा अनुसार जूना अखाड़े की ओर से महामंडलेश्वर को चादर ओढ़ाई गई और आचार्य ने साध्वी के महामंडलेश्वर बनने की घोषणा की। पढ़ें, साध्वी से महामंडलेश्वर तक का सफर...
- साध्वी चंदनप्रभानंद ने 12 वर्ष की आयु से ही आध्यात्म के पथ पर चलना शुरू कर दिया था। - उन्होंने दीक्षार्थी वेश में ही लाढ़नूं राजस्थान में हायर सेकंडरी तक शिक्षा प्राप्त की।
- 1981 में तेरापंथ जैन आचार्य तुलसी से दीक्षा अंगीकार कर 1993 तक घोर तपस्या की।
- साध्वी ने कहा कि 1994 में जब उन्हें कैंसर हुआ तो मां पद्मावती के आशीर्वाद से कैंसर की गांठ गायब हो गई।
- जब इस बात की जानकारी डॉक्टरों को लगी तो वे भी आश्चर्य में पड़ गए।
- बीमारी दूर होने के बाद उनका धर्म की ओर और अधिक झुकाव हो गया।
- 1996 में सालावास के जंगल में बकरी के दूध का पान कर तीन साल तक साधना की।
- साध्वी ने जोधपुर में चंदन पार्श्व पद्मावती तीर्थ की स्थापना कर पद्मावतीजी और प्रभु पार्श्वनाथ का भव्य मंदिर बनवाया।
- साध्वी के त्याग और समर्पण को देखकर ही जूना अखाड़ा के संतों ने उन्हें महामंडलेश्वर की उपाधि प्रदान की है। अब वे महामंडलेश्वर चंदनप्रभानंद गिरी हो गई हैं।
गुरु मैया तो शक्ति स्वरूपा
पट्टाभिषेक समारोह में आचार्य अवधेशानंदजी ने कहा कि मैं किसी का धर्म नहीं बदल रहा, वस्तु का स्वभाव ही उसका धर्म है। गुरु मैया तो शक्ति स्वरूपा है। भगवान महावीर और भगवान ऋषभदेव व भगवान विष्णु के 24-24 अवतार हुए हैं, जो धर्मों में समानता के प्रतीक हैं।
जनकल्याण के लिए बनी साध्वी से महामंडलेश्वर
महामंडलेवर बनने के बाद चंदनप्रभानंद गिरि ने कहा में जैनाचार्यों व सनातन धर्म दोनों की परंपरा निभाऊंगी। गुरु कृपा से यह सौभाग्य मिला है। इसके जरिए में दोनों धर्मों के बीच सेतु का कार्य करूंगी। जनकल्याण के कार्य के लिए मैं सनातन धर्म से जुड़ी और इसके लिए कृत संकल्पित हूं।
Source: © Facebook
Source: © Facebook
अब कमेटी में सुलझेंगे जैन समाज के घरेलू विवाद,
हफ्ते में एक दिन सुनी जाएंगी समस्याएं
News Update: May 15, 2016
भोपाल.आमतौर पर परिवार में होने वाले विवाद परिवार परामर्श केंद्राें तक पहुंच जाते हैं। समझाइश से ना संभलने की स्थिति में मामले कोर्ट में भेज दिए जाते हैं। ऐसे हालात से बचने के लिए जैन समाज ने एक अनूठी पहल शुरू की है। जैन समाज के भीतर चल रहे आपसी व घरेलू विवादों को सुलझाने के लिए परिवार विवाद समाधान केंद्र शुरू किया गया है।
जैन संत उपाध्याय निर्भय सागर महाराज के सान्निध्य में पूर्व जस्टिस अभय गोहिल व एनके जैन की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय कमेटी को ऐसे मामले आपस में ही सुलझाने की जिम्मेदारी दी गई है। यह कमेटी सप्ताह में एक दिन केंद्र में बैठक कर न्यायालय की तर्ज पर समाज के परिवारों में होने वाले घरेलू विवाद, मतभेद, मनमुटाव व अन्य समस्याओं को सुलझाएगी।
केंद्र का शुभारंभ शनिवार को हबीबगंज स्थित जैन मंदिर में किया गया। इसके पीछे समाज का उद्देश्य है कि पारिवारिक विवादों के समाधान के लिए लोग कोर्ट-कचहरी न जाएं और उनके मसले इस केंद्र में ही सुलझ जाए, जिससे उनके समय और धन की भी बचत हो। इसके साथ ही स्काॅलरशिप योजना का संचालन जो कमेटी करेगी, उसका अध्यक्ष वित्त विभाग के अपर संचालक नितिन नांदगांवकर को बनाया गया है। दिगंबर जैन पंचायत कमेटी ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रमोद हिमांशु ने बताया कि इस योजना की गाइड लाइन तैयार करने रविवार शाम को हबीबगंज जैन मंदिर में बैठक आयोजित की गई है।
ऐसे काम करेगी कमेटी
पूर्व जस्टिस गोहिल ने बताया कि कमेटी में तीन अन्य पूर्व जस्टिस के नामों का अंतिम रूप से चयन रविवार की बैठक में होगा। कमेटी के सदस्य हर रविवार को केंद्र में लोगों की समस्याएं सुनेंगे। इसमें पति-पत्नी, भाइयों व रिश्तेदारों के बीच चल रहे विवादों का निपटारा होगा। शुरूआत में पूरे प्रदेश में इस कमेटी की जानकारी वेबसाइट, सोशल मीडिया व अन्य प्रचार साधनों व मंदिरों में होने वाले कार्यक्रमों के माध्यम से दी जाएगी।
Source: © Facebook
Source: © Facebook
Source: © Facebook
Source: © Facebook