08.05.2016 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 08.05.2016
Updated: 05.01.2017

Update

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tomorrow Akshay Tritiya. - अक्षय तृतीया पर्व वह दिवस है, जब करोड़ों वर्ष पूर्व युग की आदि में प्रथम तीर्थंकर महामुनि ऋषभदेव भगवान का प्रथम आहार हस्तिनापुर की धरा पर राजा श्रेयांस के द्वारा कराया गया था। इक्षुरस (गन्ने का रस) के इस प्रथम आहार को ग्रहण करके भगवान ने मुनिचर्या का स्वरूप प्रदर्शित किया था।

मांगीतुंगी सिद्धक्षेत्र पर विराजमान परमपूज्य सप्तम पट्टाचार्य श्री अनेकांतसागर जी महाराज ससंघ, एलाचार्य श्री निजानंदसागर जी महाराज एवं परमपूज्य गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी एवं समस्त आर्यिका संघ के मंगल सान्निध्य में १०८ फुट भगवान ऋषभदेव के इक्षुरस के द्वारा अभिषेक एवं आहारमुद्रा वाली प्रतिमा को इक्षुरस के आहार दान का मंगल कार्यक्रम सम्पन्न होगा।
जम्बूद्वीप-हस्तिनापुर में भी इस अवसर पर भगवान के आहार दान का दृश्य प्रतिबिम्बित किया जायेगा।

आप भी निकट में विराजमान मुनिराज एवं संघस्थ साधुओं को इक्षुरस का आहारदान देकर पुण्य अर्जित करें एवं स्वयं भी इक्षुरस का प्रसाद ग्रहण करें।

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साधु आहारचर्या जाते तो कंधे
पर हाथ क्यों रखते है?

जब कोई दिगम्बर साधु अहारचर्या को जाते है तो सिंह प्रवृत्ति मेंजाते है अर्थात् मन में कोई नियम लेकर निकलते है अगर नियम पूर्वक अहार मिलेगा तो करेंगे नहीं तो उपवास करेगें और सामने वाले भी समझ जाते है कि मुनिराज अहार को निकले है आर्यिका माता जी ऐलक जी छुलक जी भी कोई न कोई आकडी लेकर निकलते है अहारचर्या को । जैसे शेर अपने शिकार को ग्रहण करता दूसरे का नहीं ।,
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कोटा की वात्सल्य अमृत धारा की गूंज दिल्ली तक

मनीष सिसोदिया पहुचे वात्सल्य मूर्ति आचार्य श्री 108 वर्धमान सागर जी महाराज का आशीर्वाद लेने दिल्ली सरकार के उपमुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया आज पुण्योदय तीर्थ कोटा गुरुवर की अमृत मयी वाणी का रसपान करने एवं आशीष लेने पधारे हाड़ोती की इस पावन धरा वह सार्थक होते देखा जिनकी एक आवाज़ पर सारे नेता झुक जाते शीघ्र मांस निर्यात बंद का जिनका है आदेश वचन ऐसे वात्सल्य मूर्ति श्रेष्ट खिलाडी वर्धमान गुरु मेरा शत शत बार नमन निश्चित रूप से कोटा नगर इन दिनों वात्सल्य की अमृत धारा मे डुबकी लगा रहा है जिसकी गूंज सम्पूर्ण भारत वर्ष व दिल्ली तक गूंज रही है

विवरण सहित अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमण्डी

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आगे आगे अपनी अर्थी के मैं गाता चलूँ,
सिद्ध नाम सत्य है अरिहंत नाम सत्य है,

पीछे पीछे दूर तक दिख रही जो भीड़ है,
पंछी शाख से उड़ा, खाली पड़ा नीर है,
शक्ति सारी देख ले, पर्याय ही अनित्य है,
सिद्ध नाम सत्य हैं अरिहंत नाम सत्य है।२।

जिनको मेरे सुख दुखों से कुछ नहीं था वास्ता ।
उनके ही कांधों में मेरा कट रहा है रास्ता,
आँख जब मुंदी तो कोई शत्रु है न मित्र है,
सिद्ध नाम सत्य हैं अरिहंत नाम सत्य है।२।

डोरियों से में बंधा नहीं यह मेरा संस्कार था ।
एक कफ़न पर मेरा रह गया अधिकार था,
तुम उसे उतार ने जा रहे यह सत्य है,
सिद्ध नाम सत्य हैं अरिहंत नाम सत्य है।२।

आपके अनुराग को आज यह क्या हो गया,
मैं चिता पर चढ़ा महान कैसे हो गया,
सत्य देख हँस रहा की जल रहा असत्य है,
सिद्ध नाम सत्य हैं अरिहंत नाम सत्य है।२।

आपके ही वंश से भटका हुआ हूँ देवता,
आत्म तत्त्व छोड़ कर में जगत को देखता,
यह अनादि काल की भूल का ही करत्य है,
सिद्ध नाम सत्य हैं अरिहंत नाम सत्य है

आगे आगे अपनी अर्थी के में गाता चलूँ
सिद्ध नाम सत्य है अरिहंत नाम सत्य है।

News in Hindi

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ज्ञानी लोग बड़े-बड़े कार्य कर जाते हैं: आचार्यश्री --आचार्यश्री विद्यासागर महाराज ने कुंडलपुर में मंगल प्रवचन दिए

ज्ञानी लोग अपनी धारणाएं, अनुभूति एवं आस्था के माध्यम से बड़े-बड़े कार्य कर जाते हैं। परोक्ष में रहते हुए भी चिंतन-मनन से भगवान का ध्यान करते रहते हैं। और दूसरों को भी प्रोत्साहित करते रहते हैं।
यह विचार आचार्यश्री विद्यासागर महाराज ने कुंडलपुर में मंगल प्रवचनों में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि उपदेशों का प्रचार-प्रसार करते जाओ धर्म की प्रभावना होती जाएगी। गुरुओं ने जो ग्रंथ लिखे वे आज भी पृष्ठ खोलते ही आत्मा और परमात्मा का स्वरूप हमारे सामने रख देते हैं। उन्होंने कहा कि मोक्ष मार्ग में प्रत्यक्ष ज्ञान नहीं होते हुए भी सुनकर आप अनुभव कर लेते हैं। सांसारिक कार्यों में भी हम पुरानी बातों को याद करके प्रत्यक्षतः अनुभव करते रहते हैं। इसी तरह मोक्ष मार्ग मे भी हम उसी क्षेत्र अथवा उसी वस्तु का अनुभव कर सकते हैं। जो आत्मा की ओर ले जाएं। परोक्ष में भी प्रत्यक्षतः अनुभव करना ये श्रद्धा के आधार पर चिंतन मनन के आधार पर संभव है। यदि कोई व्यक्ति बूढ़ा है और वह बड़े बाबा का चिंतन करता है तो जवान व्यक्ति से भी पहले वह बड़े बाबा के चरणों में पहुंच सकता है। उसे बड़े बाबा के दर्शन आंखें बंद करने के साथ ही हो जाते हैं।

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Watch @ Jinvaani channel right now special

🙏🙏देखना ना भुले 🙏🙏
परम पूज्य संत शिरोमणि आचार्य 108 श्री विद्यासागर जी महाराज के जीवन पर आधारित कार्यक्रम
कल दिन रविवार को दिन में 1:00 बजे से जिनवाणी चेनल पर
🙏 विशेष निवेदन 🙏
आप सपरिवार देखे और सभी श्रावक श्राविकाओ को देखने के लिए कहे ॥

सभी समुह में आगे भेज कर धर्म प्रभावना करे और पुण्य लाभ लें ॥

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>> अज्ञानी शरीरादि को आत्मा क्यों मनाता है? <<

आत्मा शरीरादि से भिन्न है।

किन्तु शरीर से संयोग देखकर अज्ञानी उसे आत्मा मानता है,
और संसार में भ्रमण करता है।

प्रतिसमय शरीर से अनन्त परमाणु अलग होते रहते है और
अनन्त परमाणु शरीर से जुड़ते है।

अज्ञानी सदृश्य आकर देखकर उसमे आत्मत्व की भावना
करता है।

वह शरीर में काल, गोरा, स्थूल -सूक्ष्म, छोटा - बड़ा आदि
विकल्प अनन्त काल से करता आया है।

इस संस्कार से वह पुनःश्च संसार में भ्रमण करता है।

ज्ञानी शरीरादि में ममत्व नहीं रखता है।
वह आत्मा को उससे भिन्न जानता है।

# अर्हद्दास जैन #

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🌸ध्यान मोती🌸पश्चाताप से वो घटना बदल नहीं सकती जो हो गई उससे भविष्य जरूर प्रभावित होता है।✨

🌸आग्रही को सुनाने की आदत होती है और आग्रह मुक्त सुन सकता है।✨

🌸ध्येय स्पष्ट हो और रुचि प्रबल हो तो ध्यान स्थिर होता है।✨

🌟✨सुनिए ऐसे ही बहुत से अनमोल बिन्दु जो हमारे जीवन को स्वस्थ और सदाचारी बनाने के लिए बहुत आवश्यक है।✨🌟
💫जिनवाणी पुत्र क्षुल्लक श्री ध्यानसागर जी महाराज जी के जिनवाणी चैनल पर प्रतिदिन रात्रि 9 बजे आ रहे प्रवचनों में।

🌸 क्षुल्लक ध्यानसागर जी🌸
🖌 आगम धारा ग्रुप 🖌
🙏🏻 जैनं जयतु शासनम्🙏🏻

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ज्ञानी लोग बड़े-बड़े कार्य कर जाते हैं: आचार्यश्री --आचार्यश्री विद्यासागर महाराज ने कुंडलपुर में मंगल प्रवचन दिए

ज्ञानी लोग अपनी धारणाएं, अनुभूति एवं आस्था के माध्यम से बड़े-बड़े कार्य कर जाते हैं। परोक्ष में रहते हुए भी चिंतन-मनन से भगवान का ध्यान करते रहते हैं। और दूसरों को भी प्रोत्साहित करते रहते हैं।
यह विचार आचार्यश्री विद्यासागर महाराज ने कुंडलपुर में मंगल प्रवचनों में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि उपदेशों का प्रचार-प्रसार करते जाओ धर्म की प्रभावना होती जाएगी। गुरुओं ने जो ग्रंथ लिखे वे आज भी पृष्ठ खोलते ही आत्मा और परमात्मा का स्वरूप हमारे सामने रख देते हैं। उन्होंने कहा कि मोक्ष मार्ग में प्रत्यक्ष ज्ञान नहीं होते हुए भी सुनकर आप अनुभव कर लेते हैं। सांसारिक कार्यों में भी हम पुरानी बातों को याद करके प्रत्यक्षतः अनुभव करते रहते हैं। इसी तरह मोक्ष मार्ग मे भी हम उसी क्षेत्र अथवा उसी वस्तु का अनुभव कर सकते हैं। जो आत्मा की ओर ले जाएं। परोक्ष में भी प्रत्यक्षतः अनुभव करना ये श्रद्धा के आधार पर चिंतन मनन के आधार पर संभव है। यदि कोई व्यक्ति बूढ़ा है और वह बड़े बाबा का चिंतन करता है तो जवान व्यक्ति से भी पहले वह बड़े बाबा के चरणों में पहुंच सकता है। उसे बड़े बाबा के दर्शन आंखें बंद करने के साथ ही हो जाते हैं।

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