News in Hindi
पुरुषार्थ से उत्पन्न व्यक्ति को मोक्ष प्राप्ति: शिव मुनि
जीवन का उद्देश्य समझना जरूरी, नाई में मंगल प्रवेश के बाद धर्मसभा
अक्षय तृतीया पर दीक्षा महोत्सव व पारणा उत्सव
उदयपुर, 5 मई। धरती पर मनुष्य दो बार जन्म लेता है। मां की कोख से और पुरूषार्थ के कोष से। जन्म के बाद मनुष्य की जीवन यात्रा श्मशान में जाकर खत्म हो जाती है लेकिन पुरूषार्थ से पैदा हुए मनुष्य की या़त्रा मोक्ष को प्राप्त होती है, यह यात्रा खत्म नहीं होती बल्कि अनन्त और अनवरत चलती है। पुरूषार्थ से मनुष्य संकल्प और साधना में लीन हो जाता है। और जब वह अनन्त में मिलता है तो वह सिद्ध गति को प्राप्त करता है। जीवन का लक्ष्य वो नहीं जो मनुष्य चाहता है बल्कि लक्ष्य वो भगवान महावीर और हमारे तीर्थंकरों ने हमें बताया है।
ये विचार श्रवण संघीय आचार्य सम्राट शिव मुनि ने गुरुवार को नाई ग्राम में भव्य मंगल प्रवेश के बाद आयोजित धर्मसभा में व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि मनुष्य जीवन दुर्लभतम है। कई योनियों में भटकने के बाद यह मनुष्य योनि प्राप्त होती है। मनुष्य जीवन में आकर यह समझना जरूरी है कि जीवन है क्या। हम जी क्यों रहे हैं। हमारे जीने का अर्थ आखिर है क्या।
आचार्यश्री ने कहा कि जीवन में मालाएं पहनना और स्वागत सत्कार होना बड़ी बात नहीं है। यह जीवन की सफलता भी नहीं और पुरूषार्थ भी नहीं, बल्कि जीवन में सफल मनुष्य वो जो अपने आसपास या खुद के साथ घटित बुरे से बुरे घटनाक्रम को भी कड़वे घूंट की तरह पीना सीख ले। विपरीत परिस्थियों में भी निःस्वार्थ भाव से जीना सीख ले।
आचार्यश्री ने कहा कि रिश्ते हर समय मधुर रहें या उनमें प्यार ही बरसे, यह जरूरी नहीं है। साथ ही हर समय ऐसा होना संभव भी नहीं है। मनुष्य को समझना होगा कि जब हम साथ में या समूह में रहते हैं वहां उंची-नीची बातें होना स्वभाविक है। उन्हें सहन करना, जहर के घूंट की तरह पी जाना यही पुरूषार्थ है। यही सफल जीवन की पहचान है, इसलिए साधना को जीवन में महत्व दें क्योंकि साधना और पुरूषार्थ से ही जीवन निखरता है।
पुष्कर वाणी गु्रप ने बताया कि नाई ग्राम की गलियों में बाल्यकाल बिताने वाले श्रमण संघीय मंत्री शिरीष मुनि ने उस समय के अनुभव सुनाते हुए पुरानी यादें ताजा की। उन्होंने कहा कि जीवन में कुछ बनने के लिए कड़ी साधना करनी पड़ती है। आपने दो पत्थरों की कहानी सुनाते हुए कि एक पत्थर जो मूर्तिकार की चोटों को बर्दाश्त करने की क्षमता रखता है वह तो मूर्ति का आकर पाकर मन्दिर में स्थापित होकर भगवान बन कर पूजा जाता है और जो पत्थर चोट सहने से पहले ही टूट जाता है फिर वह लोगों की ठोकरों में ही आता है। इसलिए जीवन को निखारना है, आगे बढ़ना है तो जीवन में सहन करना सीखना होगा। अपने गुरू की, बुजुर्गों की, माता-पिता के ज्ञान और अनुभवों को जीवन में उतारना होगा। इसके लिए चाहे चोट के रूप में उनकी कितनी ही डांट-डपट खानी पड़े, संयम और साधना के पथ पर चलना नहीं छो़ड़ना तभी जीवन में सफलता हाथ लग पाएगी।
स्थानीय श्रीसंघ अध्यक्ष लहरीलाल दलाल ने बताया कि धर्मसभा का आगाज मंगलाचरण एवं मधुर भजनों और गीतों से हुआ। इसके बाद नेपाल केसरी मानव मिलन संस्थापक मणिभद्र मुनि आदि ठाणा एवं मधुर वक्ता रितेश मुनि के साथ ही साध्वीवृन्दों चारित्रप्रभा, चन्दनबाला, डॉ. दिव्यप्रभा, चारित्र शीला, विनयवती, प्रेक्षा श्रीजी और श्रुतिजी ने भी सारगर्भित प्रवचनों से श्रावकों को लाभान्वित किया।
कार्यक्रम संयोजक जसवन्त कोठारी ने बताया कि इससे पूर्व प्रातः 6 बजे बलीचा स्थित इंडो अमेरिकन पब्लिक स्कूल से आचार्य सम्राट शिव मुनि ससंघ के विहार का दृश्य देखते ही बनता था। सैकड़ों श्रावक-श्राविकाओं की मौजूदगी में शोभायात्रा के रूप में विहार हुआ। शोभायात्रा में श्रावक-श्राविकाओं ने आचार्य सम्राट एवं ससंघ के जयकारे लगाए। बच्चों ने अपने हाथों में कई संदेशपरक तख्तियां ले रखी थी जिनमें बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, जल ही जीवन है, जल है तो कल है जैसे महत्वपूर्ण सन्देश लिखे थे। शोभायात्रा बलीचा से नया खेड़ा और कुण्डल होते हुए प्रातः 8 बजे नाई ग्राम में मंगल प्रवेश किया। 2 घंटे की इस शोभा यात्रा मार्ग में जगह-जगह जलपान और शर्बत की व्यवस्था भी कर रखी थी। पूरे मार्ग में छोटे-बड़े कई स्वागत द्वार एवं आचार्य सम्राट के बैनर-पोस्टर लगा रखे थे।
मंत्री प्रमोद कोठारी ने बताया कि जैसे ही आचार्य सम्राट ससंघ शोभा यात्रा नाई ग्राम में प्रवेश हुई आचार्यश्री के स्वागत एवं दर्शन करने ग्रामवासियों और बाहर से आये हुए अतिथियों का रैला उमड़ पड़ा।
इससे पूर्व सुबह बलीचा से निकली शोभायात्रा में निर्मल कोठारी, जीवन दलाल, किशन दलाल, राकेश नन्दावत, ललित कोठारी, कमल कोठारी, श्रमण संघ श्रावक समिति के महामंत्री दिनेश कोठारी, महिला मण्डल की ओर से श्रीमती लीला कच्छारा, सीमा मेहता ने शोभा यात्रा से धर्मसभा तक आयोजन के सफल संचालन के लिए पूर्ण सहयोग प्रदान किया। कार्यक्रम के सफल आयोजन में नाई जैन मित्र मंडल, नाई जैन युवक परिषद, नाकोड़ा पूर्णिमा मण्डल उदयपुर का महती योगदान रहा।
संघ के धनराज लोढ़ा ने बताया कि शनिवार को आचार्य का चादर ग्रहण दिवस मनाया जाएगा। साथ ही श्रमण संघीय शिरीष मुनि का दीक्षा दिवस भी होगा। सुबह 9 बजे से व्याख्यान होगा। इसके बाद सुबह 11.35 बजे महावीर भवन में केसर की रस्म होगी।
Source: © Facebook