26.04.2016 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 26.04.2016
Updated: 05.01.2017

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#रविवारीय प्रवचन @ कुण्डलपुर exclusive pic:)) विद्यासागर महाराज

उपदेश के बिना भी विद्या प्राप्त हो सकती है। जिस राह नहीं चलते वहां रास्ता नहीं यह धारणा नहीं बनाना चाहिए। कुछ लोग होते हैं जो रास्ता बनाते जाते हैं महापुरूष आगे चलते जाते हैं और रास्ता बनता जाता है। यह विचार आचार्य श्रीविद्यासागर महाराज ने विद्याभवन में अपने साप्ताहिक मंगल प्रवचनों में व्यक्त किए। इसके पूर्व मंगलाचरण के बाद बड़े बाबा के चित्र का अनावरण किया गया।
आचार्यश्री ने अपने मंगल प्रवचनों में आगे कहा कि समवशरण में सब कुछ प्राप्त हो जाता है। लेकिन सम्यग्दर्शन मिले जरूरी नहीं। बाहरी कारण मिलने के साथ भीतरी कारण मिले यह नियम नहीं होता। अंतरंग निमित्त बहुत महत्वपूर्ण होता है। चक्रवर्ती भरत के 923 बालक जिन्होंने कभी नहीं बोला वे दादा तीर्थंकर से 8 वर्ष पूर्ण होने के बाद कहते हैं कि हमें भगवन हमें दीक्षा प्रदान करें। साक्षात तीर्थंकर भगवान का निमित्त पाकर बिना उपदेश सुने ही स्वयं दीक्षित हो जाते हैं। यह समवशरण का अतिशय है। वे दीक्षा धारण कर सीधे जंगल चले जाते हैं। उपदेश के बिना समग्यदर्शन भी संभव है। जानकर भी शास्त्र का श्रद्धान नहीं करना शास्त्र का अवर्णवाद है। मोक्ष मार्ग का निरूपरण करते समय स्वयं को संयत कर लेना चाहिए, वरना स्वयं के साथ-साथ मोक्ष मार्ग का भी बिगाड़ हो जाता है। कषाय के रूप अनेक प्रकार के होते हैं। जिस तरह सूर्य चंद्रमा और दीपक से अलग अलग रोशनी मिलती है। मुझे मोक्ष मार्ग मिला है तो दूसरों को भी प्राप्त हो जाए, ऐसा बात्सल्य भाव ज्ञानी को होता है। जिस तरह गाय अपने बछड़े के प्रति वात्सल्य भाव रखती है। जो केवल ज्ञान का विषय होता है वह उसे मति ज्ञान और श्रुत ज्ञान का विषय नहीं बना सकते!!

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गुरू से शिष्य ने कहा: गुरूदेव!
एक व्यक्ति ने आश्रम के लिये गाय भेंट की है। गुरू ने कहा अच्छा हुआ । दूध पीने को मिलेगा। एक सप्ताह बाद शिष्य ने आकर गुरू से कहा: गुरू! जिस व्यक्ति ने गाय दी थी, आज वह अपनी गाय वापिस ले गया । गुरू ने कहा - अच्छा हुआ! गोबर उठाने की झंझट से मुक्ति मिली । 'परिस्थिति' बदले तो अपनी 'मनस्थिति' बदल लो, बस दुख सुख में बदल जायेगा...।
"सुख और दुख आख़िर दोनों मन के ही तो समीकरण हैं। "अंधे को मंदिर आया देखलोग हँसकर बोले -"मंदिर में दर्शन के लिए आए तो हो, पर क्या भगवान को देख पाओगे? "अंधे ने कहा - " क्या फर्क पड़ता है, मेरा भगवान तो मुझे देख लेगा..
"द्रष्टि नहीं दृष्टिकोण सकारात्मक होना चाहिए" ।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

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now we're 36363:)) #kundalpur #exclusive

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शास्त्रोंमें में कहा है अन्तर्मुहूर्त में केवलज्ञान हो सकता है।
भरत चक्रवर्ती को अन्तर्मुहूर्त में केवलज्ञान हो गया।
भगवन पार्श्वनाथ को ४ महिने में केवलज्ञान हो गया।
भगवन बाहुबली को एक साल में केवलज्ञान हो गया।
भगवन महावीर १२ वर्ष और १५ दिन ध्यान करते रहे।

हम जब हात में जपमाल लेके जब जाप देते है तब
दो तीन मणि के बाद भी मन एकाग्र नहीं हो पता ।

कहना बराबर है अगर हर १०८ मनियोंमे मन अगर एकाग्र हो गया तो
माला और शरीर इधर ही रह जायेगा और हम सिद्धालय पहुँच जाएंगे

ध्यान करते समय योगिोंके मन भी निचे आते है।
तब हम कौनसे महान तपस्वी है की हात में जपमाला
लिए और ध्यान में एकाग्र हो गए।

इसलिए पुरुषार्थ करते हुए संयम पूर्वक ध्यान करने की
आदत डालने पड़ेगी।

एक क्षण भी मन एकाग्र हो गया तो असंख्यात कर्मोंकी
निर्जरा होती है।

इसलिए हम सबको आत्म ध्यान करने की आदत डालने पड़ेगी।

स्वानंद विद्यामृत - परम पूज्य आचार्य श्री विद्यानंद मुनि महाराज
# अर्हद्दास जैन

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Kids learning:) Chattari Mangal.. 4 shelters.

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#रविवारीय प्रवचन @ कुण्डलपुर --entire sangh exclusive pic:)) विद्यासागर महाराज के मंगल प्रवचन

उपदेश के बिना भी विद्या प्राप्त हो सकती है। जिस राह नहीं चलते वहां रास्ता नहीं यह धारणा नहीं बनाना चाहिए। कुछ लोग होते हैं जो रास्ता बनाते जाते हैं महापुरूष आगे चलते जाते हैं और रास्ता बनता जाता है। यह विचार आचार्य श्रीविद्यासागर महाराज ने विद्याभवन में अपने साप्ताहिक मंगल प्रवचनों में व्यक्त किए। इसके पूर्व मंगलाचरण के बाद बड़े बाबा के चित्र का अनावरण किया गया।
आचार्यश्री ने अपने मंगल प्रवचनों में आगे कहा कि समवशरण में सब कुछ प्राप्त हो जाता है। लेकिन सम्यग्दर्शन मिले जरूरी नहीं। बाहरी कारण मिलने के साथ भीतरी कारण मिले यह नियम नहीं होता। अंतरंग निमित्त बहुत महत्वपूर्ण होता है। चक्रवर्ती भरत के 923 बालक जिन्होंने कभी नहीं बोला वे दादा तीर्थंकर से 8 वर्ष पूर्ण होने के बाद कहते हैं कि हमें भगवन हमें दीक्षा प्रदान करें। साक्षात तीर्थंकर भगवान का निमित्त पाकर बिना उपदेश सुने ही स्वयं दीक्षित हो जाते हैं। यह समवशरण का अतिशय है। वे दीक्षा धारण कर सीधे जंगल चले जाते हैं। उपदेश के बिना समग्यदर्शन भी संभव है। जानकर भी शास्त्र का श्रद्धान नहीं करना शास्त्र का अवर्णवाद है। मोक्ष मार्ग का निरूपरण करते समय स्वयं को संयत कर लेना चाहिए, वरना स्वयं के साथ-साथ मोक्ष मार्ग का भी बिगाड़ हो जाता है। कषाय के रूप अनेक प्रकार के होते हैं। जिस तरह सूर्य चंद्रमा और दीपक से अलग अलग रोशनी मिलती है। मुझे मोक्ष मार्ग मिला है तो दूसरों को भी प्राप्त हो जाए, ऐसा बात्सल्य भाव ज्ञानी को होता है। जिस तरह गाय अपने बछड़े के प्रति वात्सल्य भाव रखती है। जो केवल ज्ञान का विषय होता है वह उसे मति ज्ञान और श्रुत ज्ञान का विषय नहीं बना सकते

-अभिषेक जैन लुहाडिया

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मुनि सुधा सागरजी.वीर सागरजी व आगम सागरजी का विदाई वेला -मुनि पूंगव श्री सुधा सागरजी महाराज का खोडन से विहार हुआ रात्रि विश्राम न्यू वे सेंट्रल स्कूल पलोदा से 2 किमी पहले

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रात्रि में शादी और खाना नही करेगा सीकर जैन समाज..

धर्मसभा में सीकर जैन समाज का ऐतिहासिक फैसला

सीकर (25/04/2016) परम पूज्य मुनि प्रमाण सागर जी महाराज एवं मुनि विराट सागर जी महाराज के ससंघ सानिध्य में सोमवार को सीकर जैन समाज ने ऐतिहासिक फैसला लिया जिसके अंतर्गत अब वैवाहिक कार्यक्रम की सभी मांगलिक क्रियाएँ तथा भोजन सूर्यास्त से पहले संपन्न होंगे तथा वैवाहिक तथा सामाजिक कार्यक्रम में बनने वाले भोजन में
आलू,प्याज,लहसुन,फूलगोभी तथा समस्त प्रकार के जमींकंद बंद रहेंगे ।
मुनि प्रमाण सागर जी महाराज ने सोमवार को नया जैन मन्दिर में आयोजित धर्म सभा में समस्त सीकर जैन समाज के लोगो को इस सन्दर्भ में संकल्प दिलाई । उन्होंने कहा कि आज के दिन को सीकर जैन समाज में जैनत्व की जीत के रूप में देखा जायेगा ।
संकल्प लेने वाली संस्थाओ में भगवान महावीर चेरिटी ट्रस्ट(जैन भवन),पार्श्वनाथ भवन,दीवान जी की धर्मशाला,देवीपुरा धर्मशाला,मोदियों की धर्मशाला,सेठी कॉलोनी,महावीर भवन आदि में अब रात्रि में वैवाहिक कार्यक्रम निकासी, वरमाला,फेरे एवं भोजन नही होंगे । समस्त कार्यक्रम दिन में संपन्न होंगे ।
जैन समाज की सीकर की संस्थाओ जैन सोश्यल ग्रुप सीकर,जैन महिला मण्डल,जैन वीर संगम,जैन मित्र मण्डल,जैन सोश्यल ग्रुप शेखावाटी,जय जिनेन्द्र ग्रुप,अरिहन्त महिला मण्डल,जैन वीर संगठन,आचार्य विशद सागर बाल मंडल,आचार्य ज्ञान सागर युवा मंच,पुलक जन चेतना मंच आदि संस्थाओ ने जैनत्व को बचाने की इस मुहिम में संकल्प लिया ।
इस अवसर पर जैन समाज के विनोद सेठी,पंकज दूधवा,हुकमीचंद गंगवाल,शशि दीवान,अजीत जयपुरिया,नरेन्द्र सेठी,अभय सेठी,सुशील काला,प्रेमलता दीवान,रचना बिनायक्या,सुनील बड़जात्या,गजेन्द्र ठोलिया,मोनू छाबड़ा आदि ने संस्था के प्रतिनिधित्व के रूप में शपथ ली ।

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दिल्ली में रह रहे सांसद इन दिनों कुत्तों और बंदरों से परेशान हैं। इस समस्या के समाधान के लिए अब जनता से सुझाव मांगे गए हैं। इसके लिए राज्य सभा सचिवालय की ओर से अखबारों में विज्ञापन भी दिए गए हैं।
इन विज्ञापनों में ‘दिल्ली में संसद सदस्यों के निवास स्थानों में बंदरों और कुत्तों को नियंत्रित करने के हेतु सुझाव आमंत्रित किए जाते हैं’ लिखा है। कृपया अपने सुझाव अवश्य भेजें! कही ऐसा न हो, हिमाचल के शिमला में बंदरों को मारने जैसे आदेश यहाँ भी जारी कर दिए जाए......संजय जैन

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