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🌎 आज की प्रेरणा 🌏प्रवचनका - आचार्य श्री महाश्रमण
प्रस्तुति - अमृतवाणी 📺
संप्रसारण - संस्कार चैनल के माध्यम से --
आर्हत वाड्मय में कहा गया है - आदमी में विवेक होना चाहिए | मनुष्य और पशु में जो मुख्य अंतर होता है, वह विवेक का ही होता है | आहार, निद्रा, भय और काम-भोग ये चार समानताएं पशु और आदमी में होती हैं पर बड़ा अंतर होता है - धर्म साधना का, जो आदमी कर सकता है व पशु नहीं कर सकता | आदमी तो केवल ज्ञानी भी बन सकता है | लेकिन दूसरी ओर कुछ पशुओं में आदमी से भी अधिक अनुकम्पा होती है| बाल मुनि मेघकुमार का मन रात में संतों के स्पर्श से विचलित हो गया और भगवान महावीर के पास गए तो भगवान ने सही जगह पर चोट करते हुए कहा - तुम इतने में ही इतने कमजोर हो गए हो | याद करो पिछले जन्म में तुम हाथी थे, एक जंगल में जब आग लग गई तो सुरक्षित स्थान देखकर बहुत से पशु एक जगह एकत्रित हो गये व जब तुमने ख़ाज करने के लिए अपने पैर को उठाया तो एक खरगोश तुम्हारे पैर के नीचे आ गया | तुमने खरगोश की हिंसा न हो जाये यह सोचकर अपना पैर लम्बे समय तक ऊपर ही रखा और बाद में जब पैर नीचे किया तो अकड़न से तुम नीचे गिर पड़े और वेदना सहते हुए तुम्हारी मृत्यु हो गई | जब तुम इतने कष्ट से नहीं घबराए तो आज थोड़े से कष्ट से इतने घबरा गए? यह सुन मेघ कुमार का मन बदल गया | चोट करने से ज्यादा मह्त्व इस बात का है कि चोट कहाँ की जाय | हम अपने जीवन में विवेकपूर्ण कार्य करें, यह काम्य है |
दिनांक - २८ मार्च २०१६, सोमवार
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