18.03.2016 ►TMC ►Terapanth Center News

Published: 18.03.2016
Updated: 09.01.2018

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🔯 गुरुवर के अमृत वचन 🔯
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दि.18 मार्च के समाचार।
💠 साध्वी वृन्द का आध्यात्मिक मिलन।
♦विजयवाड़ा
♦धोइन्दा

18.03.2016
प्रस्तुति > तेरापंथ मीडिया सेंटर
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🌏 आज की प्रेरणा 🌎
प्रवचनकार - आचार्य श्री महाश्रमण
प्रस्तुति - अमृतवाणी 📺
संप्रसारण - संस्कार चैनल के माध्यम से --
आर्हत वाड्मय में कहा गया है - यह पुरुष अनेक चित्तों वाला होता है व अनेक प्रकार के भाव उसके मन में उभरते रहते हैं | कभी अहंकार, कभी गुस्सा तो कभी लोभ के भाव | विभिन्न भावों में एक भाव है - वैराग्य भाव | वह पुष्ट होता है तो आदमी मोक्ष की दिशा में आगे बढ़ सकता है | यह आत्म कल्याण का भाव है | आचार्य हेमचन्द्र सूरी ने सूक्त मुक्तवली में कहा है - आदमी अर्हत देवों को नमस्कार करता है, गुरुओं की सेवा करता है, गुणी जनों की उपासना करता है, तपस्या करता है, अरण्यवास करता है लेकिन ये सब चीजें तब तक मोक्ष प्रदान करने वाली नहीं बन सकती, जब तक पापों को दलित करने वाला वैराग्य भाव स्फुरित नहीं हो जाता | जरूरी नहीं कि सब साधू बन जाये लेकिन आदमी यह सोचे कि मेरे में वैराग्य भाव आया या नहीं, मुझमें ज्यादा ममत्व भाव तो नहीं | हमारा ममत्व भाव कम होना चाहिए क्योंकि यह भाव संसार की ओर ले जाने वाला होता है | हम निर्मोह की साधना करें | गुस्सा, अहंकार, आदि भी मोहनीय कर्म के फलित होते हैं | हमें इसी कर्म को पतला करना है | त्याग से आत्मा का पोषण व भोग से आत्मा का शोषण होता है | हमारा वैराग्य भाव पुष्ट हो, यह काम्य है |

दिनांक - १८ मार्च २०१६, शुक्रवार

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शांतिदूत आचार्य श्री महाश्रमण जी जे पावन सान्निध्य से आज के विहार एवं प्रवचन के मनोरम दृश्य।

18.03.2016
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