16.03.2016 ►Acharya Shiv Muni ►News

Published: 16.03.2016
Updated: 17.03.2016

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✨ भगवान आदिनाथ का जन्म एवं दीक्षा कल्याणक - चैत्र कृष्णा नवमी
वर्षीतप प्रारंभ करने का दिन 1अप्रैल 2016 ✨

श्रमण संघीय चतुर्थ पट्टधर, तपसूर्य, युगप्रधान आचार्य सम्राट पूज्य श्री शिवमुनि जी म-सा- पिछले 30 वर्षो से वर्षीतप की आराधना में संलग्न है। यह आम धारणा है कि वर्षी तप प्रारंभ करने वाले अक्षय तृतीया के दिन से वर्षीतप प्रारंभ करते है। परन्तु जिनको भी वर्षीतप प्रारंभ करना है वे विधिनुसार प्रभु ऋषभ देव की भांति उन्हीं के दीक्षा कल्याणक वाले दिन से प्रारंभ कर सकते है।

आने वाली 1 अप्रैल को प्रभु आदिनाथ का दीक्षा कल्याणक है। आप सभी इस दिन से वर्षीतप प्रारंभ कर सकते है। वर्षीतप में अपने शारीरिक सार्मर्थ्य के अनुसार एक दिन उपवास, आयंबिल, एकासन और दूसरे दिन पारणा इस प्रकार तप की आराधना कर सकते है। तप सूर्य शिवाचार्य श्री जी की प्रेरणा से अनेक साधु-साध्वी एवं श्रावक-श्राविकाओं ने वर्षीतप प्रारंभ किया है। हमारी हार्दिक प्रेरणा है कि आप भी अपनी आसक्ति को तोडे़ और वर्षीतप की साधना में अपने कदम आगे बढ़ाये।

श्रमण संघीय चतुर्थ पट्टधर, तपसूर्य, युगप्रधान आचार्य सम्राट पूज्य श्री शिवमुनि जी म.सा. का अक्षय तृतीया वर्षीतप पारणा महोत्सव दिनांक 9 मई 2016 ग्राम नाई (श्रमण संघीय मंत्री श्री शिरीष मुनि जी की जन्मभूमि) में होने जा रहा है।

आज से 30 वर्ष पूर्व ब्यावर (राजस्थान) के एक सुश्रावक श्री चांदमल विनायक्या जी द्वारा प्रेरणा पाकर भगवन ने यह तप साधना प्रारंभ की थी।

हम आचार्य भगवन के इस दीर्घ एकांतर तप की सुखसाता पूछते हुए हार्दिक मंगल कामना करते है की आपने जिस भाव से यह तप प्रारंभ किया था वह मोक्ष लक्ष्य आपको शीघ्र प्राप्त हो। आपकी तपस्या निर्विघ्न रूप से आगे बढ़े। आपके इस तप में आपका शरीर सहयोगी बनें। आपका मंगल आशीर्वाद हम सभी को प्राप्त हो।
जो साधु - साध्वी श्रावक श्राविका भगवन से प्रेरणा पाकर यह तप कर रहे है उनके वर्षीतप की भी हार्दिक सुखसाता पूछते है तथा मंगल कामना करते है की उनका तप कर्म निर्जरा के मार्ग पर अग्रसर हो।

एक मंगल प्रेरणा- आप सभी भगवन के इस तप की अनुमोदना करते हुए तप के मार्ग पर अग्रसर हो।

आप आगामी एक वर्ष के लिए निम्न रूप से तप के मार्ग पर अग्रसर हो सकते हैं।
1- जो वर्षीतप कर सकते है वे वर्षीतप (एक दिन उपवास एक दिन पारणा) करें।
2- जो नही कर सकते वे 12 तप में से कोई भी तप अवश्य करें।
3- अपनी एक मनपसंद वस्तु का 1 वर्ष के लिए त्याग करें।
4- 1 वर्ष के लिए प्रतिदिन नवकारसी, पोरसी, डेढ़ पोरसी, दो पोरसी आदि करने का संकल्प लें।
5- प्रतिदिन 2 समय एक स्थान पर बैठकर भोजन यानि बियासना करें।
6- प्रतिदिन या एक दिन छोडकर एक दिन 1 समय एक स्थान पर बैठकर भोजन यानि एकासना करें।
7- जो भी एकासन आयम्बिल नीवी उपवास आदि का वर्षीतप कर सकते है वे प्रारंभ करें।
8- आज के दिन अपनी बुरी आदत को त्यागे।
9- जो उपरोक्त कोई भी तप न कर सके वह अंतर तप भेद- ज्ञान, ध्यान साधना, कायोत्सर्ग, आत्मरमण को अपनायें। देहासक्ति छोड़कर कर्म निर्जरा का मार्ग अपनाये।

आओ इस दिन को यादगार दिन बनाएं। आत्म कल्याण के लिए आत्म ज्ञानी सदगुरु शिवाचार्यश्री जी के पदचिन्हों का अनुगमन करें। - शुभम मुनि

नोट- इस सन्देश को आगे सब तक पहुंचायें।

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