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❖ आचार्य श्री विद्यासागर जी के शिष्य मुनि प्रणम्यसागर जी के समयसार जी ग्रन्थ पर प्रवचन कहा से मिल सकते हैं यदि किसी को पता हो या किसी के पास हो तो प्लीज बताये!!!! ❖
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🚩🚩🚩आचार्य देशना🚩🚩🚩
🇮🇳"राष्ट्रहितचिंतक"जैन आचार्य 🇮🇳
आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
तिथि: फाल्गुन कृष्ण चतुर्थी, २५४२
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हाइकू कृति
तिपाई सी अर्थ को
ऊंचा उठाती
भावार्थ: आपको प्रतिदिन तीन पंक्ति में लिखा हुआ एक सूत्र मिलता है । इन तीन पंक्तियों की विशेषता को बताने के लिए भी एक सूत्र है । जैसे भारत में दोहा, सोरठा आदि छंद में रचना होती हैं वैसे ही हाइकू नामक इस छंद की जापान में उतपत्ति हुई । इस छंद में ३ पंक्तियाँ होती है । प्रथम पंक्ति में 5 अक्षर, द्वितीय पंक्ति में 7 अक्षर एवं तृतीय पंक्ति में भी 5 अक्षर होते हैं । यह छंद कम शब्दों में कोई भी सूत्र देने के लिए बहुत उपयुक्त है इसीलिए हमारे आचार्य भगवन ने इस छंद का उपयोग कर कई सूत्र दिए हैं । किसी भी अर्थ अथवा वस्तु को ऊंचा उठाने के लिए कम से कम तीन पाये तो लगेंगे । २ पाये की कोई चौकी अथवा स्टूल नहीं हो सकता । और तीन से ज़्यादा चारपाई आदि हो सकती है किन्तु जब ३ पाये में ही काम चलता हो तो एक अतिरिक्त पाया क्यों लगाना । आपने सुना होगा कि आचार्य जब कोई सूत्र रचना करते हैं तो उसमे एक अक्षर का उपयोग भी यदि कम करते हैं तो उन्हें बड़ी प्रसन्नता होती है । आचार्य महाराज भी कम शब्दों में सम्पूर्ण अर्थ को उद्घाटित करने के लिए हाइकू को उपयुक्त छंद मानते हैं ।
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"राष्ट्र हित चिंतक"आचार्य श्री के सूत्र
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News in Hindi
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आज सुबह की देशना #AcharyaShri #KoniJi #todayPravachan
"मोक्ष मार्ग पर बढ़ने के लिए मोह को त्यागना ही होगा"--- आचार्यश्री
जब किसी नदी में पानी का प्रवाह तेज होता है जिससे बाढ़ आ जाती है तब प्रवाह मंदा होने तक रास्ता देखा जाता है और ज्यो ही प्रवाह मंदा होता है तो सभी एक दूसरे का हाँथ पकड़ के घुटनें डूबे पानी में से भी पार हो जाते हैं
इसी प्रकार जब हमारे जीवन में कर्मो का प्रवाह तेज हो मन अनेको विकल्पों से भर जाता है ऐंसी बाढ़ में आवश्यक हो जाता है कि कर्मो का प्रवाह मंदा होने तक रुके धीमा होने पर ही परस्पर सहयोग से इस भव रूपी समुन्दर से पार हो जाएं, नई समझे!! बात आई महराज कर्मो का प्रवाह कैसे धीमा हो? इसके लिए जो रास्ते भगवान ने बनाये हैं उन पर चले मोह को त्यागे तब ही मोक्ष मार्ग पर बढ़ सकेंगे जब प्रवाह तेज हो तो श्री जी की और निहारे कितनी शांत मुद्रा में विराजमान हैं आप भी ध्यानमग्न होकर कर्मो की निर्जरा करे तो ही मोक्ष मार्ग पर बढ़ सकते हैं
कंही ऐंसा न हो की गुड़बेल स्वतः तो कड़वी होती है ऊपर से नीम पे जा चढ़ी तो क्या होगा और भी कड़वी लगती है इससे बेहतर है की यदि स्वभाव गुड़बेल सरीखा है तो किसी गन्ने के पेड़ पे जा लिपटे ताकि उसकी मिठास आप में आ जाए गन्ने का स्वभाव होता है वो ऊपर से कठोर होता है मगर अंदर मिठास लिए रहता है ऐंसे ही आप भी बने करेला और नीम चढ़ा की तरह नहीं!!
Shared by Brajesh Jain -Big thanks him!!!
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❖ दिगंबर सरोवर के राजहंस आचार्य विद्यासागर जी महाराज के विडियो प्रवचन @ Youtube - Subject: वीतरागता की उपासना... तप धर्मं! गजब के प्रवचन.. जरुर सुने ❖
PART-1: www.youtube.com/watch?v=4FzO6nTbOgk
PART-2: www.youtube.com/watch?v=bzd5ra3COjE
PART-3: www.youtube.com/watch?v=oXpuCldYaBo
PART-4: www.youtube.com/watch?v=ajfcp_taSmk
PART-5: www.youtube.com/watch?v=u_3HX8fII-k
PART-6: www.youtube.com/watch?v=9uX0wL9Obl0