11.01.2016 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 11.01.2016
Updated: 05.01.2017

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#तारादेही #update #रविवारीय_प्रवचन #आचार्य_श्री_विद्यासागर_जी_महाराज

#शिखरजी अपडेट: डी.सी.(distt collector) साहब द्वारा मधुबन शिखरजी में मीट मछली की बिक्री के लिए भूमि देने की प्रक्रिया पर रोक लगा दी है - सी०ओ०साहब पीरटाँड़ के द्वारा फोन से सूचना मिली है.. हमारा #विरोध आखिर उनके कानों तक पहुँच गया

🚩 आचार्य भगवान् ने रविवारीय प्रवचन में कहा की आज लोगो का एक दूसरे पर से विश्वास उठता जा रहा है पहले राजा आपने साथ हमेशा तलवार रखा करते थे और सभी को अपने शत्रु के सामान देखते थे|परंतु उनको भी आपने नाई के ऊपर विश्वास करना पड़ता है और उसके हाथ में उसतरा होते हुए भी अपना शीश उसके हाथ में दे देता था और नाइ भी विश्वास को निभाते हुए एक भो खरोच राजा को नहीं आने देता था..

🚩जैसा एक वेटे को अपनी माँ के ऊपर विश्वास रहता है और वह अपनी माँ कही भी हो पहचान लेता है, आज हमे ऐसा ही बिश्वास अपने धर्मं,गुरु और संस्कृति पर रखना चाहिए,

🚩आचार्य महाराज ने त्याग का महत्त्व बाताते हुए राजा भोज का उदहारण देते हुये कहा जितना जो त्याग करता है उतना ऊपर उठता है और त्याग से ही आपने भाग्य को बदल सकता है;आकाश में बादल जब तक पानी का संग्रह करता है तब तक काला रहता है और जब पानी का त्याग करता है तब वह पूर्ण सफ़ेद हो जाता है|

🚩इसके पुर्व नगर गौरव पूज्य मुनि श्री निर्लोभ सागर की ने अपने गुरू विद्यासागर जी महाराज के वारे में बताते हुए कहा की आचार्य श्री संतो के संत है और उन्होंने हम पर इतना उपकार किया अंत समय तक नहीं चूका पाउँगा मेरी सारी उम्र उनको लग जाए और अभी तक का किया हुआ सारा पुण्य इनको लग जाये.

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#Surprising #Jainism #Intersting #Research ✿ बात द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद की है, जब हिरोशिमा और नागाशाकी परमाणु बम विस्फोट के दौरान पूर्णतः नष्ट हो गए थे, उसके बाद 15 अनुसन्धान कर्ताओ ने फिर से इन नगरो को बसाने की सोची, और उन्होंने यह कार्य कर भी दिखाया | उनसे पूछने पर पता चला की, नगर बसाने की बहुत अच्छी तरकीब उन्होंने जैन दिगम्बराचार्य समन्तभद्र स्वामी के 70,000 श्लोक प्रमाण महान ग्रन्थ - "गंधहस्ति - महाभस्य" से प्राप्त की, यह और इसके जैसे काफी अन्य ग्रन्थ ब्रिटिश और मुग़ल काल में काफी मात्र में विदेश भेज दिए गए या फिर अग्नि को समर्पित कर दिए गए | यह बात बा.ब्र.विनय भैय्या ने बताई, जो की प्रख्यात लेखक और प्रख्यात विद्वान - प्रो. धर्मपाल जी(जिन्होंने भारत की समृद्धि पर "सोने की चिड़िआ और लुटेरे अँगरेज़" और " 18वी सदी में भारत में विज्ञान और तंत्र ज्ञान" जैसी पुस्तकें लिखी, साथ ही जो राजीव दीक्षित जैसे देशभक्त व्यक्ति के गुरु भी रहे हैं) के साथ रहे हैं | ✿ @

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❖ क्षु.श्री ध्यानसागरजी महाराज - डॉक्टर बनने और शारीर का इलाज़ करने का दिल में सपना रखने वाले अब आत्मा-स्वस्थ करने चल पड़े!!:)

पूर्वनाम- श्री प्रकाशचंदजी
पिता- श्री पी सी पाण्डया
माता- श्रीमति सावित्रीदेवी जी
जन्म- 9।4।1962भिलाई मेँ
शिक्षा -एमबीबीएस तृतीयवर्ष
ब्र.व्रत -15।11।1984 जबलपुरमढियाजी मेँ
क्षु.दीक्षा -8।11।1985 अहार जी मेँ
गुरु- आ.श्री विद्यासागर जी॥

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