07.01.2016 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 07.01.2016
Updated: 05.01.2017

News in Hindi

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✿ आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की विभिन्न रचनाओं एवं सूत्रों (हाईको, शतक, मूकमाटी) आदि को सरल रूप में नित्य उपलब्ध कराने के लिए एक प्रयास कर रहे हैं । इन कृतियों को व्हाट्सप्प के माध्यम से जो भी प्राप्त करने के इच्छुक हैं वे कृपया निम्नलिखित नंबर को अपने फोनबुक में जोड़ें एवं सन्देश भेजें । यह कोई समूह नहीं होगा अपितु ब्रॉडकास्ट सन्देश होगा और तभी आपके पास आ पायेगा जब आप इस नंबर को किसी नाम (जैसे: आचार्य श्री के लेख) से अपने फ़ोन में सेव करेंगे । सन्देश में अपना नाम, उम्र एवं नगर / ग्राम ज़रूर बताएं । जिनके पास व्हाट्सप्प नहीं है किन्तु टेक्स्ट सन्देश से प्राप्त करना चाहते हैं वे भी टेक्स्ट सन्देश भेज सकते हैं । सन्देश भेजने के उपरान्त आपको एक उत्तर मिलेगा जो आपके लिए सेवा प्रारम्भ होने का सूचक होगा । सन्देश इस नंबर पर भेजें: 7721081007 धन्यवाद

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✿ कहते है हम लोग इंसान है क्योकि हम लोगो में बुद्धि है नहीं तो पशु/जानवर और हममे क्या ख़ास फर्क नहीं, इसलिए हमें पशु जैसा जीवन नही जीना चाहिए | लेकिन मानवता की धज्जिया उड़ाने वाले द्रश्य जब देखने में आते है तो अपने को इंसान कहते हुए शर्म आने लगती है, कत्लखानो में कैसे हम इंसान लोग क्रूरता की पराकाशता करते हुए जीभ की taste के लिए मार डालते है, आत्मा कांप जाती है देखकर की कैसे जीवित मछली की स्किन को निकाल लिया जाता है, कैसे गाय को एक पैर पर जिन्दा लटका कर उसके गले में चाक़ू से छोटा सा छेद कर दिया जाता है जिससे वो असहनीय दर्द को सहन करती हुई 2 से 3 धंटे में मरती है, उसकी जीभ बाहर आजाती है और आंखे फट जाती है दर्द के कारन और सारा वजन एक पैर पर होने से उसकी हड्डी भी टूट जाती है, कैसे एक छोटे गाय के बछड़े के उपर उबलता हुआ पानी डाल दिया जाता है उसकी खाल निकालने के लिए क्योकि उससे चमड़ा बनाना है जो हममे से कुछ लोग पहनते है | और कितना और क्या कहा जाए शायद हम लोगो को पता भी नहीं जितना कत्लखानो की क्रूरता के बारे में कहा और सुना जाता है वास्ताव में वो क्रूरता उससे कही ज्यादा भयानक है....

अभी एक survey किया गया जिसमे उन व्यक्तियों को शामिल किया गया जो मांस खाते थे, या जिनको अच्छा लगता था, और उनको मांस खिलाने से पहले वही कत्लखाने में लेजाया गया जिसको गाय का मांस अच्छा लगता था उसको कटती हुई गाय के सामने ले जाया गया उसको वो द्रश्य दिखाया गया फिर उसको मांस खाने के लिए दिया गया तो वो उसको नहीं खा सकता उस क्रूरता के द्रश्य उसके सामने आते रहे और कुछ तो उन द्रशो को ही नहीं देख पाए जबकि वे मांसाहारी थे, मतलब ये हुआ की जो लोग मांसाहार पसंद करते है वे उसको खा तो सकते है लेकिन अधिकतर लोग उन पशुओ को कटते हुए देख भी नहीं सकते, एक जैन संत क्षुल्लक ध्यानसागर जी कहते है की जो लोग मांस खाना पसंद करते है वे लोग पूरी तरह से सिर्फ मांस खाकर जिन्दा नहीं रह सकते है जबकि आप शाकाहार पर पूर्णतया जीवित रह सकते है और अपनी लाइफ के अच्छे से बिता सकते है, क्योकि देखो जरा मांस को स्वादिष्ट बनाने के लिए क्या प्रयोग हो होता है? मसाले, नमक, मिर्च, लॉन्ग, गर्म मसाला, धनिया आदि जो की शाकाहारी वनस्पतिया ही तो है मतलब मांसाहार को tasty बनाने के लिए ये मसाले प्रयोग करते है, क्या मांसाहारी कच्चा मांस खा सकते है? नहीं खा सकते...वो कितना घिनोना होता है हम सब जानते है |

यहाँ तक की एक बहुत famous मांसाहार फ़ूड बेचने वाली कंपनी का स्ट्रिंग ऑपरेशन द्वारा survey किया गया तो द्रश्य और भी ज्यादा भयानक थे, कैसे वो लोग जानवरों के साथ व्यवहार करते है और क्या क्या करते है जिनको शब्दों में नही लिखा जा सकता, और अब उनके factories आदि में जाना भी allow नहीं है ना ही आप कैमरा आदि ले जा सकते है की कितना क्रूरता पूर्वक वहा पर जानवरों के साथ बर्ताव किया जाता है, हममे से कुछ लोग बोलते है leather की items ज्यादा चलती है लेकिन ये कोई बात नहीं हुई आप बिना leather की वस्तु प्रयोग करो, अपने थोड़े से comfort के लिए आप लाखो जानवरों को अपने कारन से मरने नहीं दे सकते, वो सिर्फ आपके कारन से ही करते है, अगर आप सोचते है की मेरे एक चमड़ा ना प्रयोग करने से क्या होगा तो आप गलत है क्योकि एक एक व्यक्ति अगर चमड़ा का प्रयोग करना छोड़ दे तो सोचो कितना consumption leather के मार्केट में कम होगा और अगर मार्केट में demand कम होगी तो production कम होगा और अगर डिमांड नहीं तो production नहीं और जानवारो की हत्या नहीं... | लेकिन हम इन बातो को या तो समझते नहीं या समझना नहीं चाहते, बस वही बात है 'सोने का वर्क चढ़ा है, गोबर की मिठाई पर' इससे ज्यादा क्या कहा जाए |

अरे ओह मांस के खाने वालो क्या तुमको ये भी भान नहीं? मुर्दे कहा दफ़न होते है, पेट कोई कब्रिस्तान नहीं...

कुछ ऐसी वस्तुए है जिनके प्रयोग किये बिना भी हमारा जीवन चल सकता है या कहे की उनकी substitute items हम मार्केट से purchase कर सकते है...आओ जाने |

1 >> Men/women wallet जब भी ख़रीदे तो leather का ना ख़रीदे, मैं खुद बिना leather का wallet रखता हूँ और वो भी बहुत stylish और trendy लगता है...

2 >> Laptop/Notebook/Mobile etc को carry करने वाला backpack जब भी ख़रीदे तो वो भी बिना leather का ख़रीदे, मार्केट में available है |

3 >> Shoes और बेल्ट जब भी purchase करे तो देख कर ही ख़रीदे, specially costly shoes और बेल्ट तो आपको leather वाले ही मिलेंगे, तो अगर आप बिना leather की डिमांड करेंगे तो आपको मिल जाएगी, आज कल हर स्टाइल के शोएस और बेल्ट without leather के भी मार्केट में available है, बस आपके अन्दर determination होना चाहिए मतलब संकल्प की चमड़ा use नहीं करना है कुछ भी हो जाए, और फिर भी अगर चमड़ा खरीदो तो एक बार उन जानवरों गाय, सूअर, मुर्गी, आदि जानवरों के तड़पते हुई चित्र को सामने ले आना फिर भी अगर खरीदना हो तो फिर क्या कहे, हर व्यक्ति स्वतंत्र है लेकिन जब हमको लाइफ में प्रॉब्लम आती है और दुःख मिलते है फिर हम रोते रोते फिरते है और कोई मदद नहीं करता करे कहा से भैया...जब कर्म ऐसे करोगे तो कोई कहा से मसीहा आपके जीवन में आये? विश्व का कोई भी धर्मं हो अधिकतर धर्मं और यहाँ तक की किसी भी धर्मं को ना मनाने वाले भी ये तो accept करते है की हमें अच्छे कर्म ही करने चाहिए, और सब धर्मं में कहा गया है की कर्मो का फल सबको मिलता है, भगवान् भी क्या करे जब आपने कर्म ही ऐसे किये??

ऐसे छोटी छोटी बहुत सारी item होती है जिनमे आप देख कर अगर ख़रीदे में फालतू की हिंसा से बच सकते है, winter session में कोई जरुरी नहीं की leather की jacket ही पहने, जो leather use नहीं करते क्या वे मर जाते है ठण्ड के कारन? या उनको सोसाइटी से बाहर निकाल दिया जाता है? या उनको मार दिया जाता है? या उसपर पनाल्टी लग जाती है? कुछ नहीं होता बस हम अपने अपने के लिए अच्छा सोचने के चक्कर में स्वार्थी हो गए है, बिना leather की जक्केट, पर्स, जुटे, बेल्ट, बेग आदि के भी काम चल सकता है...अगर आप चाहे तो |

सबसे ज्यादा दुःख की बात है हम लोग धर्मं के नाम पर लड़ जाते है चाहे हिन्दू हो मुस्लिम हो सिख हो इसाई हो, बुद्ध हो या जैन हो लेकिन उस धर्म के नेता का क्या सन्देश और उपदेश था ये भूल जाते है | --- अहिंसा परमो धर्म: | जियो और जीने दो | Live and Let Live.

SOURCE >> To keep aware about Pinnacle of Curtly toward Animals, Written and Sharing by - Nipun Jain

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#SudhaSagarJi #Update ✿ सुधासागर महाराज श्री का आज चवलेश्वर जी मे मंगल प्रवेश हुआ!! ✿ महाराज श्री मुख्य मंदिर मे ।। ✿ नमोस्तु भगवन ✿

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✿ ये पेज दिगंबर जैनाचार्य आचार्य श्री विद्यासागर जी मुनिराज के नाम से है, लेकिन इसमें आचार्य श्री की कोई अनुमति या अनुमोदना नहीं है, दिगंबर जैन साधू कंप्यूटर या इन्टरनेट का प्रयोग नहीं करते, ये पेज एक जिनवाणी अनुरागी द्वारा चलाया जाता हैं!! ये पेज आपको कैसा लगता है, इस पेज की post, Article, info, हमें feedback जरुर दे....जिससे हमको motivation भी मिलता है.... आप अपने दोस्तों को भी इस पेज मे add होने के लिए इस पेज को शेयर कर सकते है.. ✿

Nipun Jain -Micchami Dukkadam _/_ -जैनम जयतु शासनं, वन्दे विद्यासागरं

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