Update
दि.13.नवम्बर.2015 के कार्यक्रम।
♦पेटलावद: 'अणुव्रत दिवस' आयोजित।
♦आदमपुर: 'अणुव्रत दिवस' पर प्रभात फेरी।
♦दिल्ली: तेयुप द्वारा 'एक शाम तुलसी के नाम'।
प्रस्तुति > तेरापंथ मीडिया सेंटर
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Source: © Facebook
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🌍 आज की प्रेरणा 🌏प्रवचनकार - आचार्य श्री महाश्रमण
विषय - तुलसी और राम
प्रवचनस्थल - विराटनगर,१३.११.१५
प्रस्तुति - अमृतवाणी
संप्रसारण - संस्कार चैनल के माध्यम से --
आर्हत वाड्मय में कहा गया - शिष्य के लिए धर्माचार्य का बड़ा महत्व होता है| जैसे मंत्रों के द्वारा अग्नि को सम्मान दिया जाता है वैसे ही शिष्य गुरु को सम्मान दें, गुरू की सेवा करें| हमें आचार्य तुलसी जैसे धर्मोपदेशक गुरु के रूप में मिले| आज से १०१ वर्ष पहले भारत की भूमि के लाडनूं में एक शिशु का जन्म हुआ था | वह शिशु ही आगे जाकर गुरुदेव तुलसी बना | गुरुदेव तुलसी ने कितनों का उद्धार किया | समण श्रेणी का उद्गम भी उन्हीं के कार्य काल में हुआ| यह एक विलक्षण दीक्षा थी - समण दीक्षा, जिसका आज ही के दिन लाडनूं में प्रारंभ हुआ| यह श्रेणी ३५ वर्षों की हो गई| इसे गुरुदेव तुलसी की पुत्री कहा जा सकता है| ये समणीयां साध्वियों की सेवा भी करती है तथा शिक्षा की दृष्टि से भी इनका योगदान रहा है| गुरुदेव तुलसी व आचार्य महाप्रज्ञ दोनों का आशीर्वाद इस श्रेणी पर रहा है | ओर भी कितने कितने साधु साध्वियों पर भी उनका आशीर्वाद रहा है और साध्वी प्रमुखाजी तो मानो उनकी एक कृति है, रचना है | अनेक व्यक्तित्व उनके शासन काल में निर्मित हुए | योग्य उत्तराधिकारी का मिलना आचार्य के लिए सौभाग्य की बात है जो उन्हें महाप्रज्ञ के रूप में मिला|
आज अणुव्रत दिवस भी है| यह कार्तिक शुक्ला द्वितीया का दिन बड़ा पावन दिन है, जिस दिन आचार्य तुलसी का जन्म हुआ|
दिनांक - १४ नवम्बर, २०१५
Update
🌍 आज की प्रेरणा 🌏प्रवचनकार - आचार्य श्री महाश्रमण
विषय - तुलसी और राम
प्रवचनस्थल - विराटनगर,१३.११.१५
प्रस्तुति - अमृतवाणी
संप्रसारण - संस्कार चैनल के माध्यम से --
आर्हत वाड्मय में कहा गया - शिष्य के लिए धर्माचार्य का बड़ा महत्व होता है| जैसे मंत्रों के द्वारा अग्नि को सम्मान दिया जाता है वैसे ही शिष्य गुरु को सम्मान दें, गुरू की सेवा करें| हमें आचार्य तुलसी जैसे धर्मोपदेशक गुरु के रूप में मिले| आज से १०१ वर्ष पहले भारत की भूमि के लाडनूं में एक शिशु का जन्म हुआ था | वह शिशु ही आगे जाकर गुरुदेव तुलसी बना | गुरुदेव तुलसी ने कितनों का उद्धार किया | समण श्रेणी का उद्गम भी उन्हीं के कार्य काल में हुआ| यह एक विलक्षण दीक्षा थी - समण दीक्षा, जिसका आज ही के दिन लाडनूं में प्रारंभ हुआ| यह श्रेणी ३५ वर्षों की हो गई| इसे गुरुदेव तुलसी की पुत्री कहा जा सकता है| ये समणीयां साध्वियों की सेवा भी करती है तथा शिक्षा की दृष्टि से भी इनका योगदान रहा है| गुरुदेव तुलसी व आचार्य महाप्रज्ञ दोनों का आशीर्वाद इस श्रेणी पर रहा है | ओर भी कितने कितने साधु साध्वियों पर भी उनका आशीर्वाद रहा है और साध्वी प्रमुखाजी तो मानो उनकी एक कृति है, रचना है | अनेक व्यक्तित्व उनके शासन काल में निर्मित हुए | योग्य उत्तराधिकारी का मिलना आचार्य के लिए सौभाग्य की बात है जो उन्हें महाप्रज्ञ के रूप में मिला|
आज अणुव्रत दिवस भी है| यह कार्तिक शुक्ला द्वितीया का दिन बड़ा पावन दिन है, जिस दिन आचार्य तुलसी का जन्म हुआ|
दिनांक - १४ नवम्बर, २०१५
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दि.13.नवम्बर.2015 के कार्यक्रम।
♦रायपुर: आचार्य तुलसी जन्मदिवस कार्यक्रम।
♦आसीन्द: आचार्य तुलसी जन्मदिवस कार्यक्रम।
प्रस्तुति > तेरापंथ मीडिया सेंटर
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