07.11.2015 ►TSS ►Terapanth Sangh Samvad News

Published: 07.11.2015
Updated: 04.01.2016

News in Hindi

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पूज्य प्रवर आचार्य श्री महाश्रमण के आज के प्रवचन का विडियो लिंक

स्थल - तेरापंथ भवन, विराटनगर (नेपाल)

विषय:- अपना अपना पुण्य-पाप

http://youtu.be/q1OhQdWyNXE

दिनांक - 07-11-2015

प्रस्तुति - अमृतवाणी

प्रसारक - 🌻तेरापंथ संघ संवाद🌻

Source: © Facebook

आज की प्रेरणा......
प्रवचनकार - आचार्य श्री महाश्रमण......
विषय - जैन रामायण वाचन......
प्रवचनस्थल - विराटनगर, ६. ११. १५.....
प्रस्तुति - अमृतवाणी.......
संप्रसारण - संस्कार चेनेल के माध्यम से --
आर्हत वाड्मय में कहा गया है - जब तक बुढ़ापा पीड़ित न करे, शरीर में व्याधि न आये व इन्द्रियां क्षीण न हो जाए तब तक धर्म कर लेना चाहिए, दूसरों की सेवा कर लेनी चाहिए |जैन रामायण में धर्म के प्रसंग में एक बात आती है अयोध्या के एक राजा हिरण्यगर्भ और
उसके पुत्र का नाम नकूश| पुराने ज़माने में कैसे वैराग्य आ जाता था| राजा हिरण्यगर्भ को जब मालूम हुआ कि उसके सर पर सफ़ेद बाल आ गया हैं, तो उसे लगा कि मैंने बहुत देरी कर दी है, यह यमदूत इस बात का संकेत दे रहा है कि मुझे अब शीघ्र दीक्षा ले लेनी चाहिए| सामान्यतःबुढ़ापा मृत्यु की ओर से एक पूर्व सूचना है| अतः उसके नजदीक आते ही व्यक्ति को जागरूक हो जाना चाहिए | राजा ने राजकुमार को अपना उत्तराधिकार सौंप कर दीक्षा ग्रहण कर ली व धर्म साधना में लींन हो गया | उसकी रानी का नाम सिंहिका था और वह बड़ी शक्तिशाली थी | एक बार राजा उत्तर पथ के राजाओं को जीतने के लिए युद्ध में गया | उधर से दक्षिण पथ के राजा ने भी आक्रमण कर दिया | ऐसे में रानी सिंहिका खुद युद्ध के मैदान में गई व विजय श्री का वरण कर लौटी | राजा भी जब युद्ध जीतकर आया तो उसे रानी के युद्ध में जाने और जीत आकर आने के बारे में मालूम हुआ, लेकिन यह सब राजा को अच्छा नहीं लगा, रानी को युद्ध में नहीं जाना चाहिए यह सोचकर उसे रानी पर संशय भी हो गया व इससे में वह रानी से विमुख भी हो गया | हालांकि रानी ने यह काम मात्र राज्य की रक्षा के लिए ही किया था | एक बार राजा के बीमार हो जाने पर जब अनेक उपचारों के बाद भी जब राजा स्वस्थ नहीं हुआ तो रानी ने भरी सभा में यह घोषणा की कि यदि मेरे शील में शक्ति हो तो शासन माता राजा को स्वस्थ कर दे | राजा ठीक हो गया और रानी पर उसका जो संशय था वह भी दूर हो गया | इस प्रकार रानी अपने सतित्व की परीक्षा में पूर्ण रूप से ऊतीर्ण हुई.......
दिनांक - ७ नवम्बर, २०१५

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विराटनगर - सूरत निवासी श्री अमृतलालजी बाफना का गुरु सन्निधि में संथारा पूर्वक देवलोक गमन
दिनांक 7-11-2015

प्रस्तुति - 🌻तेरापंथ संघ संवाद🌻

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