Delhi
19.09.2014
Acharya Mahashraman
Vihar towards Green Park
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Pravachan
आज की प्रेरणा.......प्रवचनकार - आचार्य महाश्रमण......
आचार्य सोमप्रभ सूरी ने बतलाया कि वितरण व दान कभी निष्फल नहीं जा-
ता | आगे आपने कर्म व फल का विवेचन करते हुए बतलाया कि अगर तुम
सुपात्र दान, शुद्द साधू को दान दोगे तो वह धर्म का कारण व अध्यात्मिक लाभ
दिलाने वाला होगा | भूखे को दिया गया दान दयालुता का ध्योतक, मित्र को दिया गया दान मित्र के साथ प्रेम भाव को बढ़ाने, दुश्मन को दिया गया दान
दुश्मनी को कम करने वाला, चाकर को दिया गया दान भक्ति की वृद्धि करने वाला, राजा की भेंट सुविधा बढ़ाने वाला व चारण को दिया गया दान विरुदावली
का कारण बनेगा | दरिद्र केवल वही नहीं होता जिसके पास धन नहीं हो बल्कि
वह भी होता है जो धन होने के बाद भी दान नहीं देता | धनवानों के लिए मेरे तीन परामर्श - पहला लक्ष्मी चंचल है, इसका अभिमान न करें, दूसरा धन के प्रति
आसक्ति न रक्खें और तीसरा धन का दुरूपयोग न करें | गरीबी की सीमा रेखा
की बात चलती है तो अमीरी की सीमा रेखा की बात क्यों नहीं चलनी चाहिए?
असंविभाग व लोभ आपस के सम्बन्धों में दरार डालने वाला होता है| अतः इन
दोनों से बचें | त्याग व दान का आध्यात्मिक व लौकिक दोनों महत्व होता है,
अपेक्षा है इसे हम समझें |
दिनांक - 19 सितम्बर, २०१४
ASHOK PARAKH
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