11.06.2012 ►Pachpadra ►Emotional Development is Necessary for Peaceful Co-existence► Acharya Mahashraman

Published: 11.06.2012
Updated: 21.07.2015

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Pachpadra: 11.06.2012

Acharya Mahashraman said that pure thinking is very important. Purity of emotions leads for Moksha. Jeevan Vigyan taught us to develop emotional development. Purpose of Sadhana should be to get Moksha.

News in Hindi

पवित्र भावों में जीना सीखें: आचार्य
पचपदरा ११ जून २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो

जैन तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण ने व्यक्ति के जीवन और अध्यात्म जगत में भावना के महत्व के बारे में कहा कि व्यक्ति शरीर से होने वाली क्रिया और वाणी का महत्व इतना नहीं है जितना भावना का है। आदमी की भावना कैसी है, यह कर्म के बंधन व निर्जरा की बड़ी कसौटी है। उन्होंने कहा कि बंधन व मोक्ष का कारण मन की भावना ही है। विषयासक्त भाव बंधन की ओर तथा शुद्ध व विषय मुक्त भावना मोक्ष की ओर ले जाने वाली होती है। व्यक्ति की जैसी भावना होती है उसी के अनुसार सिद्धि हो जाती है, इसलिए व्यक्ति पवित्र भावों में जीना सीखें।

आचार्य ने कहा कि जीवन विज्ञान शिक्षा जगत के लिए एक उपक्रम है और इसकी आत्मा भावात्मक विकास है। छात्र में केवल आईक्यू ही नहीं ईक्यू भी होना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक पढ़े-लिखे व्यक्ति में अगर भावात्मक विकास नहीं हुआ तो उसमें शांति का संचार नहीं हो सकता है। विद्यार्थी में ज्ञानार्जन से मूर्खता का नाश होता है पर मूढ़ता के नाश के लिए अध्यात्म की आवश्यकता होती है।

आचार्य ने भावना का साधना के क्षेत्र में महत्व बताते हुए कहा कि भावना के बिना साधना का प्रयोग निष्फल है। मोक्ष की भावना के साथ अध्यात्म की साधना का बड़ा लाभ प्राप्त होता है। अध्यात्म की साधना का सार शुद्ध भावों में जीना है। शुद्ध भावों वाला व्यक्ति गलत काम नहीं कर सकता। आचार्य ने प्रेरणा दी कि व्यक्ति में निर्मलता रहनी चाहिए। मन को निर्मलता प्राप्त होने पर उसे आनंद की अनुभूति होती है। इसलिए परमसुख की प्राप्ति के लिए व्यक्ति को अध्यात्म के परम सूत्र मन की निर्मलता का अभ्यास करना चाहिए। आचार्य ने मन निर्मलता को प्राप्त करो आनंद तुम्हे मिल जाएगा गीत प्रस्तुत किया। मंत्री मुनि सुमेरमल ने कल्पनाओं को हकीकत में बदलने के लिए व्यक्ति को पुरुषार्थ करने की प्रेरणा दी और कहा कि बीता हुआ समय लाखों उपायों के बाद भी वापिस नहीं आ सकता। इसलिए व्यक्ति ज्यादा कल्पनाएं न करें और जितनी कल्पनाएं करे उतनी के लिए पुरुषार्थ करे तो व्यक्ति सफल हो सकता है। कार्यक्रम का शुभारंभ मुनि राजकुमार के कल्पनाएं सब धरी रह जाएगी गीत के साथ किया। जयपुर से आचार्य के पदार्पण की अर्ज के लिए सौ व्यक्तियों का संघ सभाध्यक्ष चांदमल गुजरानी के नेतृत्व में पहुंचा। चंदनमल गुजरानी, राजेन्द्र बटडिय़ा, नरेश मेहता, सुरेन्द्र सेठिया तेयुप अध्यक्ष, पुष्पा बैद, पन्नालाल पुंगलिया, दौलत डागा व राजेन्द्र बांठिया ने विचार व्यक्त किए। संचालन राज कुमार बटडिया ने किया।
महाश्रमण की धर्मसभा में उमड़े श्रद्धालु

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Sushil Bafana

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