01.04.2017 ►TSS ►Terapanth Sangh Samvad News

Published: 01.04.2017
Updated: 02.04.2017

Update

👉 राजसमन्द - बालको के नैतिक विकास में अणुव्रत शिक्षक संसद का योगदान विषयक संगोष्ठी का आयोजन
👉 साकरी - ज्ञानशाला निरीक्षण यात्रा
👉 राजनांदगांव (छत्तीसगढ) - नये वर्ष पर वृहद् मंगलपाठ एवं आध्यात्मिक अनुष्ठान का आयोजन

प्रस्तुति: 🌻 *तेरापंथ संघ संवाद*🌻

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

👉 बारडोली - स्वच्छता अभियान
👉 विजयनगर (बैंगलोर) - जैन संस्कार विधि के बढ़ते चरण
👉 दौलतगढ़ - वाद विवाद प्रतियोगता व तप अभिनन्दन
👉 फरीदाबाद - ज्ञानशाला संस्कार निर्माण शिविर
👉 उदयपुर - टेक्नोलॉजी का ज्ञान बढ़ाएगा सशक्त पहचान विषयक सेमिनार

प्रस्तुति: 🌻 *तेरापंथ संघ संवाद*🌻

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

👉 पूज्य प्रवर तख्त पटना साहिब गुरुद्वारा पहुंचे
👉 गलती की पुनरावृत्ति न करने और खुद को समयानुसार करें परिवर्तित: आचार्यश्री महाश्रमण
👉 तेरापंथ धर्मसंघ की भावी पीढ़ी साध्वीवर्याजी और मुख्यमुनिश्री ने भी श्रद्धालुओं पर बरसाई कृपा
👉 पटना सिटी में प्रवास के दूसरे दिन भी आचार्यश्री को सुनने पहुंचे श्रद्धालु
👉 आज भी श्रद्धालुओं ने आचार्यश्री के चरणों में अर्पित की भावनाओं की पुष्पांजलि

📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻

Source: © Facebook

Update

Video

Source: © Facebook

दिनांक 01- 04- 2017 के विहार और पूज्य प्रवर के प्रवचन का विडियो
प्रस्तुति - अमृतवाणी
सम्प्रेषण -👇

📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻

♻❇♻❇♻❇♻❇♻❇♻

*श्रावक सन्देशिका*

👉 पूज्यवर के इंगितानुसार श्रावक सन्देशिका पुस्तक का सिलसिलेवार प्रसारण
👉 श्रृंखला - 44 - *अन्य सम्प्रदाय, जैन मंदिर प्रतिष्ठा व मूर्ति पूजा*

*टालोकर* क्रमशः हमारे अगले पोस्ट में....

📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻

Source: © Facebook

💢⭕💢⭕💢⭕💢⭕💢⭕💢
आचार्य श्री तुलसी की कृति आचार बोध, संस्कार बोध और व्यवहार बोध की बोधत्रयी

📕सम्बोध📕
📝श्रृंखला -- 19📝

*आचार-बोध*

*मंडली के दोष*

(सोरठा)

*53.*
लगे दोष इंगाल,
करे प्रशंसा भोज्य की।
निंदा निरस निभाल,
धूम दूसरा मांडलिक।।

*54.*
बिन कारण आहार,
स्वादवृत्ति संयोजना।
मात्रा का परिहार,
दोष मांडलिक पांच ये।।

*13. मांडलिक दोष*

पिण्डनिर्युक्ति की प्रथम गाथा में आठ प्रकार की पिण्डनिर्युक्ति बताई है--

पिण्डे उग्गम उप्पयणेसणा
(सं) जोयणा पमाणं च।
इंगाल धूम कारण
अट्ठविहा पिंडनिज्जुत्ती।।1।।

उद्गम पिण्ड, उत्पादन पिण्ड और एषणा पिण्ड- इन तीन प्रकारों में 42 दोषों की चर्चा आ चुकी है। शेष पांच पिण्ड यहां मांडलिक दोष के रूप में व्याख्यात हैं।

*1. इंगाल--* मनोनुकूल भोजन पाकर उसकी प्रशंसा करना।
*2. धूम--* नीरस भोजन पाकर उसकी निंदा करना।
*3. कारण--* आहार करने के आगमोक्त कारणों के बिना आहार करना।
*4. संयोजना--* स्वादवृत्ति से भोज्य पदार्थों का संयोग करना।
*5. प्रमाणातिरेक--* अधिक मात्रा में आहार करना।

*आहार ग्रहण व आहार परिहार के हेतुओं* के बारे में विस्तार से जानेंगे-समझेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻तेरापंथ संघ संवाद🌻
💢⭕💢⭕💢⭕💢⭕💢⭕💢

🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆

जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।

📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य'* 📙

📝 *श्रंखला -- 19* 📝

*आगम युग के आचार्य*

*ज्योतिपुञ्ज आचार्य जम्बू*

आचार्य जम्बू तीर्थंकर महावीर के द्वितीय उत्तराधिकारी थे। उनका साधनामय जीवन अध्यात्म के समुन्नत स्तंभ का जगमगाता दीप था। युग आए और बीत गए पर उस ज्योतिर्मय जीवनदीप की निर्धूम शाखा समय की परतों को चीरकर अकम्प जलती रही और जन-जन के पथ को आलोकित करती रही।

*गुरु-परंपरा*

जम्बू के गुरु आचार्य सुधर्मा थे। वीर निर्वाण के बाद श्रमण सहस्रांशु आचार्य सुधर्मा के द्वारा सर्वप्रथम मुनि दीक्षा जम्बू को प्रदान की गई। जम्बू ने आचार्य सुधर्मा से द्वांदशांगी का गंभीर अध्ययन किया। वे चतुर्दश पूर्वों की विशाल ज्ञान राशि को उनसे ग्रहण करने में सफल हुए अतः मुनि जम्बू के लिए दीक्षा-गुरु एवं शिक्षा-गुरु दोनों प्रकार की भूमिकाओं के दायित्व को निभाने वाले आचार्य सुधर्मा थे। आचार्य सुधर्मा से पूर्व की गुरु-परंपरा तीर्थंकर महावीर से संबंधित थी।

*जन्म एवं परिवार*

जम्बू का जन्म वी. नि. पू. 16 (वि. पू. 486) में राजगृह निवासी वैश्य परिवार में हुआ। राजगृह मगध की राजधानी थी। जम्बू के पिता का नाम ऋषभदत्त और माता का नाम धारिणी था। यथा नाम तथा गुणसंपन्न समुद्रश्री, पद्मश्री, पद्मसेना, कनकसेना, नभसेना, कनकश्री, कनकवती, जयश्री नामक जम्बू की आठ की पत्नियां थीं। आठों पत्नियों के माता-पिता के नाम क्रमशः ये थे--

माताओं के नाम
(1) पद्मावती, (2) कनकमाला, (3) विनयश्री, (4) धनश्री, (5) कनकवती, (6) श्रीषेणा, (7) वीरमती, (8) जयसेना।

पिता के नाम
(1) समुद्रप्रिय, (2) समुद्रदत्त, (3) सागरदत्त, (4) कुबेरदत्त, (5) कुबेरसेन, (6) श्रमणदत्त, (7) वसुषेण, (8) वसुपालित।

*जीवन-वृत्त*

राजगृह को जम्बू की जन्मभूमि होने का सौभाग्य मिला, वह उस समय जैन धर्म का प्रमुख केंद्र थी। सम्राट श्रेणिक के शासनकाल में उसकी शोभा स्वर्गतुल्य थी। ऋषभदत्त राजगृह का इभ्य श्रेष्ठी था। उस पर लक्ष्मी की अपार कृपा थी। गगनचुंबी अट्टालिकाएं मणिरत्नों से जुड़ित छतें और स्वर्णकणों से चमकती पीताभ दीवारें ऋषभदत्त के समृद्ध जीवन की प्रतीक थीं।

धारिणी सद्धर्मचारिणी महिला थी। विनय, विवेक, सौजन्य आदि गुण धारिणी के जीवन के अलंकार थे। सब तरह से सुखी होते हुए भी धारिणी पुत्राभाव से चिंतित रहती थी।

*जम्बू के जन्म व जीवन* के बारे में विस्तार से जानेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻तेरापंथ संघ संवाद🌻
🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆

💠🅿💠🅿💠🅿💠🅿💠🅿💠

*प्रेक्षाध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ*

अनुक्रम - *भीतर की ओर*

*शक्ति केन्द्र के जागरण की प्रक्रिया - [ 1 ]*

शक्ति केन्द्र को जागृत करने के लिए उस पर ध्यान करना जरुरी है। यदि दीर्धश्वास के साथ ध्यान का प्रयोग किया जाए तो वह अधिक सफल हो सकता है।
मूलषधं,अश्विनी मुद्रा और शक्तिचालिनी मुद्रा --- ये तीनों शक्ति को जागृत करने में बहुत उपयोगी हैं।
शक्ति केन्द्र के जागृत होने का एक महत्त्वपूर्ण लाभ है आरोग्य । इसके दो लाभ और माने गए है--- वाक् सिद्धि और कवित्व ।


1 अप्रैल 2000

प्रसारक - *प्रेक्षा फ़ाउंडेशन*

प्रस्तुति - 🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻

💠🅿💠🅿💠🅿💠🅿💠🅿💠

News in Hindi

👉 अहिंसा यात्रा प्रणेता आचार्य श्री महाश्रमण आज पटना के सुप्रसिद्ध तख्त पटना साहिब गुरुद्वारा में पधारे
👉 गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा पूज्यवर का भव्य अभिनन्दन किया गया।
👉 विशेष जानकारी - तखत श्री पटना साहिब या श्री हरमंदिर जी, पटना साहिब (पंजाबी: ਤਖ਼ਤ ਸ੍ਰੀ ਪਟਨਾ ਸਾਹਿਬ) पटना शहर में स्थित सिख आस्था से जुड़ा यह एक ऐतिहासिक दर्शनीय स्थल है। यहाँ सिखों के दसवें गुरु गोविन्द सिंह का जन्म स्थल है। गुरु गोविन्द सिंह का जन्म 26 दिसम्बर 1666 शनिवार को 1.20 पर माता गुजरी के गर्भ से हुआ था। उनका बचपन का नाम गोविन्द राय था। यहाँ महाराजा रंजीत सिंह द्वारा बनवाया गया गुरुद्वारा है जो स्थापत्य कला का सुंदर नमूना है ।

दिनांक 01 अप्रैल 2017

📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻

Source: © Facebook

Source: © Facebook

01 अप्रैल का संकल्प

तिथि:- चैत्र शुक्ला पंचमी

संकल्प की नित्य एक खुराक ।
आत्मा की उज्ज्वलता के लिए ।।

📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻

Source: © Facebook

Share this page on:
Page glossary
Some texts contain  footnotes  and  glossary  entries. To distinguish between them, the links have different colors.
  1. अमृतवाणी
  2. आचार्य
  3. ज्ञान
  4. तीर्थंकर
  5. पद्मावती
  6. महावीर
  7. लक्ष्मी
  8. श्रमण
Page statistics
This page has been viewed 442 times.
© 1997-2024 HereNow4U, Version 4.56
Home
About
Contact us
Disclaimer
Social Networking

HN4U Deutsche Version
Today's Counter: